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भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ (लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं) किसी भी देश में एक स्वस्थ राजतंत्र के निर्माण के लिए द्वि-दलीय व्यवस्था आवश्यक है। मुद्दों पर बहुमत का नजरिया जानने की जनता की मूल लोकतांत्रिक इच्छा को संतुष्ट करने का यही एकमात्र रास्ता है। इससे लोग चुनावी व

डा. भरत झुनझुनवाला ( डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) मध्यधारा के अर्थशास्त्री ऋण लेकर निवेश करने को अच्छा नहीं मानते हैं। उनकी सोच है कि सरकार ऋण लेगी तो सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ेगा और विदेशी निवेशक भाग खड़े होंगे। यह बात सही है, परंतु जिस समय विदेशी निवेशक पहले

कुलदीप नैयर ( लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) मौजूदा संदर्भों में भारत को अपना अगला कदम उठाने से पहले देखो और इंतजार करो की नीति का अनुसरण करना चाहिए। इजरायल ने भी कमोबेश ऐसी ही इच्छा जताई है। भारत-पाक के लिए फिलहाल यही उचित होगा कि वे संवाद के टेबल पर आकर महत्त्वपूर्ण मसलों को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं जैसे-जैसे कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों में लड़ाई तेज होती हुई एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है, वैसे-वैसे कश्मीरी युवा के नाम की आड़ में, आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले सामने आने को विवश हो रहे हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता

प्रो. एनके सिंह प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं पश्चिम बंगाल में किसी मुस्लिम कार्यक्रम के लिए पूजा-पाठ को रोक देना इस बात का संकेत है कि देश में सामान व्यवहार की जरूरत को नए सिरे से परिभाषित किया जाना चाहिए। निश्चय ही सेकुलरिज्म का ढोंग करने वाले दलों

भूपिंदर सिंह भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं प्रदेश में विभिन्न खेलों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड बनकर तैयार हैं। दुखद यह कि उनके रखरखाव के लिए मैदान कर्मचारी तथा चौकीदार ही नहीं हैं। राज्य में बने खेल ढांचे के रखरखाव तथा उसमें उपयुक्त होने वाले उपकरणों की खरीद के लिए

पीके खुराना ( लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) अब स्थिति यह है कि ‘यथा प्रजा, तथा राजा’ की उक्ति सटीक हो गई है। यानी यदि जनता जागरूक नहीं होगी, तो जनप्रतिनिधि भी निकम्मे और भ्रष्ट हो जाएंगे। यह स्वयंसिद्ध है कि ‘आह से आहा’ तक के सफर के लिए जनता को ही

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सरकार की प्राथमिकता देश में कृषि उत्पादों के दामों को नियंत्रण में रखना है। देश की बड़ी आबादी शहर में रहती है। यह खाद्य पदार्थों को खरीद कर खाती है। गांव में रहने वाले कुछ परिवार भी खाद्य पदार्थ खरीद कर खाते हैं। देश की लगभग

कुलदीप नैयर ( कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) नागरिकता छीनने संबंधी  कानून 2005 में हुए विस्फोटों के बाद उपजी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए 2006 में  लागू किया गया था। इन विस्फोटों में 52 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 700 लोग घायल हो गए थे। लागू होने के बाद के