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कुलदीप नैयर ( कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) माओवादियों को वैचारिक धरातल पर अपने लिए संघर्ष करना होगा। भाजपा को समझाना चाहिए कि उनके हिंदूवादी दर्शन, वामपंथियों के समतावादी दर्शन से ज्यादा समृद्धि कैसे ला सकता है। ठीक इसी तरह से वामपंथियों को भी स्पष्ट करना चाहिए कि उनके दर्शन से जनता किस

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) सरदार पटेल की भी 1950 में ही मृत्यु हो गई थी, अन्यथा वह नेहरू को इस भारतघाती रास्ते पर आगे बढ़ने से रोक सकते थे। समय पाकर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने भी राग अलापना शुरू कर दिया कि रक्षा, संचार और

प्रो. एनके सिंह (लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं) हाल ही में एक और मुद्दाविहीन खबर मीडिया चैनलों पर पूरी तरह से हावी रही, जिसमें एक लड़की हाथ में तख्ती लहराते हुए एक लड़की बताती है, ‘पाकिस्तान ने मेरे पिताजी को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा।’ प्रथमदृष्टया इसमें गंभीरता वाली कोई

भूपिंदर सिंह (लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं) हिमाचल में अगर खेलों को सम्मानजनक स्तर तक ऊपर ले जाना है तो हमें हरियाणा की तरह इनामी राशि पंजाब की तरह खेल संस्थान का प्रबंधन हो तो इस बजट से ही शुरू करना होगा। प्रदेश में अच्छा खेल ढांचा खड़ा कर खेल पर्यटन को भी बढ़ावा मिल

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) सफल महिलाओं का उदाहरण दे-देकर शेष समाज को बार-बार यह बताया जाता है कि महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं, जबकि होना यह चाहिए कि महिलाओं को पुरुषों के सोचने के ढंग और पुरुषों को महिलाओं के सोचने के ढंग के बारे

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं ) अपने पुराने ऐश्वर्य के महिमामंडन, अपनी आंतरिक जनता का दमन और बाहरी जनता को जोड़ने में असफलता के कारण हम गुलाम हुए थे। हमारे सामने चुनौती रोम जैसे हश्र से बचने की है। मात्र मध्यम वर्ग के प्रसन्न होने से हमारी सभ्यता सफल नहीं

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं हम लंबे वक्त से आपस में मिल-जुलकर रहते आए हैं। हालांकि हिंदुत्व के प्रभाव के बावजूद भारत के लोग इस बात को शिद्दत के साथ महसूस करने लगे हैं कि उन्हें सब मतभेद भुलाकर एक होकर रहना होगा, जैसा कि सदियों पहले के हमारे पूर्वज रहा करते थे। मौजूदा

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं) परशुराम की धरती केरल में पिछले अनेक सालों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता साम्यवादी हिंसा के शिकार हो रहे हैं। यह असहिष्णुता केरल की धरती पर देखी जा रही है, जहां से कभी आदि शंकराचार्य शास्त्रार्थ का अस्त्र लेकर निकले थे, लेकिन इन साम्यवादियों के लिए

प्रो. एनके सिंह ( प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ) आज भी कोई ऐसा दल नजर नहीं आता, जो उदारवादी और साफ-सुथरी व्यवस्था की कामना करने वाले लोगों को आकर्षित करे। ये लोग आज भी एक ऐसे दल की तलाश में हैं, जो घोटालों और भ्रष्टाचार से दूर