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भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं वर्ष 1963 में न्यायमूर्ति सरकारिया, जिन्हें केंद्र-राज्य संबंधों के अध्ययन को नियुक्त किया गया था ने रिपोर्ट दी कि ‘‘केंद्र शक्ति के नशे में चूर’’ था। यही समय था कि भारत ‘मजबूत’ केंद्रीकृत सरकार के विचार को निकाल

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) छोटे उद्योगों की मुख्य समस्या टैक्स दरों की है। इसे सुलझाने के बाद ही अन्य कदमों की सार्थकता है। सरकार को समझना चाहिए कि छोटे उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में अहम सार्थक भूमिका निभाते हैं। पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से भी लघु उद्योग, बड़े

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं कश्मीर में जायरा वसिम का उदाहरण हमारे सामने हैं। उन्होंने बालीवुड फिल्म में अपने अभिनय के दम पर दर्शकों में गहरी छाप छोड़ी थी और फिल्म निर्माता व निर्देशक अमिर खान ने भी स्वीकार किया कि उनका कार्य सराहनीय था। महबूबा मुफ्ती से जब वसिम मिलीं, तो महबूबा ने

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि सैनिकों में इस तरह की असहमतियों को लेकर सोशल मीडिया पर विडीयो पोस्ट करने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, उसे खत्म करने के लिए सेनाध्यक्ष को सख्ती के साथ आगे आना पड़ा है। इस प्रचलन पर

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं धर्मशाला खेल छात्रावास में कई प्रतिभावान धाविकाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, जो भविष्य में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। आने वाले वर्षों में ये धाविकाएं ईमानदारी से अपना प्रशिक्षण जारी रखती हैं, तो अगले ओलंपिक, राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में ये भारत

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) अखिलेश सत्ता में हैं। पार्टी पर उनका वर्चस्व बन गया है। वह परिपक्व राजनीतिज्ञ की छवि में आ चुके हैं और पार्टी ने उन्हें सफलतापूर्वक विकास के प्रतीक के रूप में पेश किया है जो अपराधियों और बाहुबलियों से घृणा करता है

डा. भरत झुनझुनवाला ( डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) सरकार द्वारा केवल वही सार्वजनिक माल उपलब्ध कराए जाते हैं, जिन्हें अमीर व्यक्तिगत स्तर पर हासिल नहीं कर सकता है, जैसे कानून व्यवस्था एवं करंसी। सरकार द्वारा उन सार्वजनिक माल को हासिल कराने में रुचि नहीं ली जाती है, जिन्हें अमीर

कुलदीप नैयर ( कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) स्वतंत्रता के तुरंत बाद ईएमएस नंबूदरीपाद केरल के मुख्यमंत्री चुने गए थे। वह दिल्ली से अलग दृष्टिकोण रखते थे, जहां पर कांग्रेस का शासन था। दिल्ली प्रतिरोधी गिरफ्तारी को आगे बढ़ाना चाहती थी लेकिन नंबूदरीपाद का तर्क था कि यह ब्रिटिश तरीका है और यह

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) कश्मीर घाटी महज जमीन का टुकड़ा नहीं है, वह एक संस्कृति और एक दृष्टि है। वह नागभूमि है। गिलानियों को लगता है कि कश्मीरियों ने इबादत का एक और तरीका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, इससे उनकी मूल पहचान ही