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भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक   स्कूल स्तर पर अच्छे खिलाडि़यों के लिए प्रशिक्षण सुविधा का भी प्रबंध अनिवार्य रूप से होना चाहिए। सरकार को चाहिए कि शिक्षा विभाग के स्कूलों में हर बच्चे का बैटरी टेस्ट कम से कम त्रैमासिक स्तर पर लिया जाए और उसका रिपोर्ट कार्ड भी बनाया जाए। उसमें सुनिश्चित करवाया

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अगर सिस्टम ठीक हो, तो समाज के नब्बे प्रतिशत लोगों के ईमानदार बने रहने की संभावना होती है और यदि सिस्टम खराब हो, तो समाज के नब्बे प्रतिशत लोग भ्रष्ट और बेईमान हो जाते हैं। चुनाव आयोग तो बस एक उदाहरण है। देश की सभी संस्थाओं, यहां तक कि संवैधानिक संस्थाओं

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं   यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर बढ़ते सड़क हादसों के कसूरवार इन बस ड्राइवरों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं? क्या पुलिस और परिवहन अधिकारियों द्वारा सभी ड्राइवरों के वाहन परिचालन पर नजर रखी जा रही है? क्या यह जांचा भी जा रहा है कि कहीं

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   अब सांसद केवल चपरासी हो गए हैं, जिनका कार्य है कि उपस्थित होकर पार्टी के आदेशानुसार बटन दबा दें। यह व्यवस्था गांधी जी की कल्पना के पूर्ण विपरीत है। गांधी जी ने सोचा था कि बिना पार्टी की मुहर के व्यक्ति संसद में पहुंचेंगे और जनता की समस्याओं को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   भद्रवाह में वासुकि नाग महाराज का यह मंदिर पता नहीं कितनी बार बना-बिगड़ा, कितनी  बार इसने अपना आकार खोया और पाया, यह कौन कह सकता है । इस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे  पर इतिहास बिखरा पड़ा है। जगह-जगह नाग मूर्तियां हैं। जहां मंदिर टूट गए, उनके भग्नावशेष हैं, लेकिन

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार दिन की समाप्ति के साथ मैं इस बात से हैरान हो गया जब कांग्रेस के कट्टर समर्थकों तक ने माना कि कांग्रेस को दो सीटें मिलेंगी तथा बाकी सभी सीटें एनडीए को चली जाएंगी। मेरा अपना अनुमान भी यह था कि कांग्रेस को एक सीट मिलेगी, जबकि आम आदमी

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हमीरपुर एथलेटिक्स संघ एकमात्र ऐसा खेल संघ है, जिसमें केवल पूर्ण एथलीट ही पदाधिकारी व सदस्य हैं।  इस संघ के लाइफ अध्यक्ष प्रो. डीसी शर्मा हैं, जो स्वयं शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक रहे हैं तथा बाद में कालेज प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वर्षों उनकी देखरेख में यह

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार भावार्थ यह कि सत्तासीन दल के ऐसे सांसद जो मंत्रिपरिषद में नहीं हैं, संसद में कुछ नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री यदि मजबूत हो, तो वह संसद और अपने दल ही नहीं, अपनी मंत्रिपरिषद की भी परवाह नहीं करता। प्रधानमंत्री और उसके दो-तीन विश्वस्त साथी ही निर्णय लेते हैं कि संसद में

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं यह जीवन सभी लोगों को समान रूप से मिला है, लेकिन मात्र कुछ लोग ही मिलने वाले अवसरों को कामयाबी में बदल कर दूसरों के लिए मिसाल पैदा करते हैं। हमें हमेशा प्रगति की ओर बढ़ने के लिए और बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए हमारा