आस्था

फुलैरा दौज अथवा फुलैरा दूज हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध त्योहारों में से है। बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाया जाता है। ज्योतिष जानकारों की मानें तो फुलैरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती...

देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धौलाधार की तलहटी कांगड़ा घाटी के धर्मशाला खनियारा में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर 500 वर्षों से बाबा श्री गंगा भारती जी महाराज का अखंड धूणा जल रहा है।

चारों तरफ से छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह पावन धाम सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहां दर्शन करने के लिए आते हैं....

एकम्बरेश्वर मंदिर या एकाम्रेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जहां शिव जी को ‘आम के पेड़ का भगवान’ भी कहा जाता है। कहते हैं यहां भगवान शिव माता पार्वती की परीक्षा लेने स्वयं प्रकट हुए थे।

बाबा हरदेव गतांक से आगे.. महात्मा बात को और स्पष्ट करते हुए कहने लगे जब कोई एक-दूसरे को हद से भी अधिक चाहने वाला हो तो क्या होता है? तब वे बोलते भी नहीं, बल्कि वे सिर्फ एक-दूसरे की तरफ देखते रह जाते हैं और एक-दूसरे के दिल की बात समझ जाते हैं। इसलिए जब

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 इस लेख का भावार्थ समझने के लिए इवेंट बनाम शादी भव्य समारोह का अंतर समझना जरूरी है। पूर्व कालखंडों में परिवार, निकटतम मित्र एवं पड़ोसी, धार्मिक समभाव एवं एकरसता सद्भावना से ओत-प्रोत संगठित समूह में धार्मिक उत्सवों, पारंपरिक त्योहारों एवं सांस्कृतिक आयोजनों पर पूरे जोश से

10 मार्च रविवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष, अमावस, स्नानदानादि

पपीता स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। पोषक तत्त्वों से भरपूर इस फल का सेवन त्वचा के साथ-साथ पेट को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। हालांकि पपीते का सेवन करते हुए लोग इसके बीजों को फेंक देते हैं, परंतु आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि पपीते के बीज भी स्वास्थ्य

श्रीराम शर्मा स्वार्थ और अहंकार से मुक्त होकर औरों के लिए जो कष्ट उठाया जाता है, वही सच्चा धर्म है। धर्म है औरों के लिए, राष्ट्र के लिए, विश्व के लिए स्वयं का उत्सर्ग। परहित अर्थात औरों की खुशी के लिए, औरों की पीड़ा मिटाने के लिए स्वयं को उत्सर्ग कर देना ही धर्म है।