आस्था

निसर्ग में यह आदर्श पग-पग पर देखने को मिलते हैं। कैफनी एस.सी. में स्टीव एंड स्किनर के पास एक मुर्गी थी। एक बार उसके सब प्रसूत बच्चों को बाज ने पकड़कर खा लिया। उसके थोड़ी देर बाद मुर्गी ने एक बिल्ली का पीछा किया। लोगों ने समझा मुर्गी के प्रतिशोध का भाव जाग गया है,

ओशो जीवन के हर आयाम में सत्य के सामने झुकना मुश्किल है और झूठ के सामने झुकना सरल। ऐसी उलटबांसी क्यों है? उलटबांसी जरा भी नहीं है, सिर्फ तुम्हारे विचार में जरा सी चूक हो गई है, इसलिए उलटबांसी दिखाई पड़ रही है। चूक बहुत छोटी है, शायद एकदम से दिखाई न पड़े, थोड़ी खुर्दबीन

स्वयं वायुदेव ने विक्रम संवत् 1295 की माघ शुक्ला सप्तमी को आचार्र्य मध्व के रूप में अवतरण किया। बेललि ग्राम (मद्रास) में पिता हुए नारायण भट्ट तथा माता वेदवती। लक्ष्य था, भक्ति-सिद्धांत की रक्षा करना। अन्यत्र मध्वजी का जन्म आश्विन शुक्ला दशमी को हुआ मानते हैं। कुछ इस तिथि को उनके वेदांत-साम्राज्य के अभिषेक का

रामायण के पात्र वन में जाने से पहले सीता जी की रक्षा के लिए लक्ष्मण जी ने अपने बाण से एक रेखा खींची तथा सीता जी से निवेदन किया कि वे किसी भी परिस्थिति में इस रेखा का उल्लंघन नहीं करें, यह रेखा मंत्र के उच्चारणपूर्वक खिंची गई है, इसलिए इस रेखा को लांघ कर

बाबा हरदेव गतांक से आगे… लेकिन अगर शरीर को पानी की प्यास लगती है, तो एक गली में पहुंचता है और कहता है कि बड़े जोरों की प्यास लगी है, भाई साहब, बताइए पानी कहां मिलेगा? कोई बताता है कि यह गली, जहां आप हैं आगे दाहिने मुड़ती है, वहीं नल लगा हुआ है। वहां

गतांक से आगे… हनुमानजी ने जब ऐरावत पर विराजमान इंद्र को देखा तो उन्होंने समझा कि यह कोई सफेद फल है। अब हनुमानजी राहु को छोड़कर इंद्र की ओर लपके तो घबराहट में इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का प्रहार किया। इंद्र का वज्र हनुमानजी की ठुड्डी पर लगा, जिससे वह एक पर्वत पर जा

स्वामी रामस्वरूप संपूर्ण भगवदगीता वेदों के मंत्रों पर ही आधारित ज्ञान का प्रकाश कर रही है क्योंकि सृष्टि के आरंभ में ईश्वर केवल वेदों का ही ज्ञान देता है जिसे सुनकर बाद में पढ़-लिखकर साधक विद्वान होते आए हैं और जिसके आधार पर ही शास्त्र-उपनिषद, गीता आदि ग्रंथों की रचना हुई… गतांक से आगे… दूसरा

एक दिन कृपाचरण सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने गया। जैसे ही उसने तांबे के लोटे से शिवलिंग पर पानी की धार छोड़ी वैसे ही पिंडी के वृत्त में चारों ओर मोटा-मोटा काला-सा जीव सरकने लगा। कृपाचरण के हाथ से लोटा छूटकर दूर जा गिरा। लौटा गिरते ही तीन-चार हाथ ऊंचा उठकर वह काला जीव

घर में आयुर्वेद – डा. जगीर सिंह पठानिया, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, आयुर्वेद, बनखंडी मनुष्य के पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव लगातार होता रहता है, जिसकी एक सीमा तक जरूरत भी होती है जो कि हमारे आमाशय में भोजन का पाचन करता है। जब यह सीमा से कम हो जाता है, तो हमारे भोजन का