आस्था

-गतांक से आगे… रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनी। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।। 5 ।। शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनी। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 6।। रक्तबीज का वध और चण्ड-मुण्ड का विनाश करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।।

उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पन्ना है। इस व्रत को करने से मनुष्य को जीवन में सुख-शांति मिलती है। मृत्यु के पश्चात विष्णु के परम धाम का वास प्राप्त होता है… विधि व्रत करने वाले को दशमी के दिन रात में

हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्थल हैं, जोकि अलग-अलग कथाओं व चमत्कारों के लिए सुप्रसिद्ध हैं। उपमंडल नूरपुर के अंतर्गत सुल्याली में स्थित डिबकेश्वर महादेव का मंदिर इन्हीं में से एक है। यह मंदिर नूरपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पवित्र स्थल पर भगवान शिव की प्राकृतिक गुफा में अनेकों शिवलिंग

सर्दियां अपने पूरे शबाब पर हैं और उसी के साथ बढ़ गया है सर्दियों में होने वाली बीमारियों का खतरा। सर्दियों में खांसी, जुकाम, सांस में दिक्कत, बुखार, ठंड लगना जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। हालांकि ये समस्याएं घातक तो नहीं होती, लेकिन आपको तंग जरूर कर देती हैं। फिर वही डाक्टरों के चक्कर,

बदलते मौसम में अकसर पराग-कणों के कारण एलर्जी की शिकायत होती है। एलर्जी एक ऐसी समस्या है, जो अकसर हमें परेशान करती है। यह किसी भी खाद्य पदार्थ, कपड़ों, मौसम के बदलाव या आनुवंशिकता की वजह से हो सकती है। धूल-मिट्टी, धुआं, पालतू पशु जैसे कुत्ता, बिल्ली, खरगोश के अलावा फूलों के पराग-कण या एलोपैथिक

बुनाई करने से अंगुलियां व हाथ क्रियाशील रहते हैं और यदि आप गठिया की मरीज हैं, तो बुनाई आपके लिए और भी फायदेमंद है… सर्दी का मौसम आते ही स्वेटर की जरूरत महसूस होने लगती है। कुछ सालों पहले तक महिलाएं सर्दी शुरू होते ही स्वेटर बुनने लगती थीं। दोपहर में धूप सेंकती और एक-दूसरे

सर्दियों के मौसम में रंग-बिरंगी सब्जियों के सेवन का मजा ही कुछ और है। चाहे बात गाजर की ही क्यों न करें, सर्दियों में इसे खाने के अपने ही फायदे हैं। गाजर के मीठेपन को लेकर आपको कैलोरी की चिंता करने की भी जरूरत नहीं, क्योंकि इसमें बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है। गाजर

आखिर गुरु ने उपदेश दे गोपीचंद को बद्रिकाश्रम जाकर तप करने की आज्ञा दी और पटरानी के बेटे मुक्तचंद को राजगद्दी सौंप दी। प्रधान सरदारों को उनकी योग्यता के अनुसार पुरस्कार वितरण किए और अंतपुर की स्त्रियों को दिलासा देकर समझाया कि अब आप मुक्तचंद को ही अपना सब कुछ समझो। छह महीने तक जालंधरनाथ

6 दिसंबर रविवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, षष्ठी 7 दिसंबर सोमवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, सप्तमी, कालभैरवाष्टमी 8 दिसंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, अष्टमी 9 दिसंबर बुधवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, नवमी 10 दिसंबर बृहस्पतिवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, दशमी 11 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, एकादशी, उत्पन्ना एकादशी 12 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, शनि प्रदोष व्रत