आस्था

ओशो किस संबंध में आपसे बातें करूं, जीवन के संबंध में। शायद यही उचित होगा, क्योंकि जीवित होते हुए भी जीवन से हमारा संबंध नहीं है। यह तथ्य कितना विरोधाभासी है? क्या जीवित होते हुए भी यह हो सकता है कि जीवन से हमारा संबंध न हो? यह हो सकता है! न केवल हो ही

श्रीराम शर्मा संसार की अच्छी-बुरी तस्वीर वस्तुतः हमारे दृष्टिकोण और मनोदशा का ही प्रतिफलन है।  एक मंदिर में भौतिक और आध्यात्मिक भिन्न दृष्टिकोण वाले दो व्यक्ति जाते हैं और प्रतिमा को ध्यानपूर्वक देखते हैं। जहां भौतिक दृष्टिकोण का व्यक्ति मूर्ति के पत्थर, मुकुट और साज, श्रृंगार तक सीमित रहकर उसका मूल्य और कोटि ही देखता

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव शिव ने अपनी तीसरी आंख कैसे खोली, इसकी एक कहानी है। भारत में प्रेम और वासना के देवता को कामदेव कहते हैं। काम का अर्थ है, इच्छा, वासना। वासना एक ऐसी चीज है, जिसके बारे में लोग सीधे-सीधे बात करना नहीं चाहते। वे इसे किसी और सुंदर रूप में बताना चाहते हैं,

बाबा हरदेव आध्यात्मिक जगत में चाह (परमात्मा की चाह) और प्यास (परमात्मा की प्यास) में जमीन-आसमान का अंतर है। चाह में आक्रमण है, प्यास में केवल प्यास है, क्योंकि चाह खोजने निकलती है, जबकि प्यास प्रतीक्षा करती है। चाह सक्रिय है, प्यास निष्क्रिय है। चाह का अर्थ होता है मैं पा कर रहूंगा। जोर मैं

12 जुलाई रविवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, सप्तमी, शीतला सप्तमी 13 जुलाई सोमवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, अष्टमी, पंचक समाप्त 14 जुलाई मंगलवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, नवमी 15 जुलाई बुधवार, आषाढ़, कृष्णपक्ष, दशमी 16 जुलाई बृहस्पतिवार, श्रावण, कृष्णपक्ष, एकादशी, कामिका एकादशी व्रत 17 जुलाई शुक्रवार, श्रावण, कृष्णपक्ष, द्वादशी 18 जुलाई शनिवार, श्रावण, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, शनि प्रदोष व्रत

मानसून के मौसम में बालों और त्वचा की देखभाल करना उतना ही जरूरी है, जितना की अन्य मौसम में होता है। बारिश के पानी से स्कैल्प पर गीलेपन की वजह से बाल रूखे और बेजान दिखाई देने लगते हैं। लेकिन बालों की उचित देखभाल कर इस समस्या से निजात पाने के साथ बिना किसी डर

तनाव एक ऐसी मानसिक समस्या है, जिसे यदि समय रहते कंट्रोल न किया जाए, तो यह कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकता है। जिसमें आपके इम्यून सिस्टम से लेकर त्वचा और बालों के साथ-साथ पाचन पर भी तनाव का असर पड़ सकता है। कई बार पाचन संबंधी समस्याओं के पीछे आपका गलत खान-पान

छोटे बच्चों के जब दूध के दांत आने शुरू होते हैं, तो कितने क्यूट लगते हैं। ये दांत न सिर्फ  बच्चे को क्यूट दिखाते हैं, बल्कि इससे शिशु को खाना चबाने और बोलने में भी मदद मिलती है। आमतौर पर माना जाता है कि बच्चों के दूध के दांतों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए,

वायरल बुखार के लक्षण अन्य आम बुखार की तरह ही होते हैं मगर इसको नजरअंदाज करने पर अवस्था गंभीर हो सकती है। बुखार होने की प्रथम अवस्था में गले में दर्द, थकान, खांसी आदि होते हैं। जिसको लोग नजरअंदाज कर देते हैं और इसी के कारण वायरस को पनपने में आसानी होती है… वायरल बुखार