आस्था

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव वेद मंत्रों का संबंध एक आकार को ध्वनि में बदलने से है। आज यह प्रमाणित तथ्य है कि हर ध्वनि के साथ एक आकृति भी जुड़ी होती है। इसी तरह से हर आकृति के साथ एक खास ध्वनि जुड़ी होती है। आकृति और ध्वनि के बीच के इस संबंध को हम मंत्र

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां पर देवी-देवताओं के अनेको मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर भगवान शनि देव का है, जो लंबलू हमीरपुर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण स्थानीय लोगों के सहयोग से वर्ष 1996 में हुआ था। अब यह मंदिर हिमाचल

* प्याज का प्रयोग पीलिया के उपचार में बेहद उपयोगी है। प्याज को बारीक काटें फिर पिसी हुई कालीमिर्च, थोड़ा सा काला नमक और नींबू का रस मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। * चने की दाल को रातभर पानी में भिगोकर रखें। सुबह इसमें से पानी निकालकर गुड़ मिलाकर खाएं। कुछ दिनों तक इस नुस्खे को

गर्मियों में हाथों व पैरों के तलवों से सेक निकलने की समस्या आम देखने को मिलती है। इसके कारण खुजली और तेज जलन महसूस  होती है। हालांकि लोग इसे छोटी समस्या समझ कर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन यह किसी बड़ी बीमारी का भी संकेत हो सकता है… गर्मियों में हाथों व पैरों के तलवों

बाबा हरदेव गतांक से आगे… अतः यह बात ध्यान देने योग्य है कि व्यक्ति जब मिटता है, तब उसका अहम नहीं रह जाता तब वह पाता है कि ‘हूं’ है ही नहीं, जो है यह मैं नहीं है, जबकि जो है यह सब है। तब दीवार टूटती है और द्वार खुलता है, तब वह गंगा

श्रीश्री रवि शंकर नकारात्मक कार्य आपको पीड़ा देते हैं, लेकिन यह नकारात्मकता हमेशा नहीं रहती है। अच्छे कार्य आपको सुखद अनुभव देते हैं, लेकिन कुछ समय बाद वे गायब हो जाते हैं। हर कार्य और उसका फल समाप्त हो जाता है। ये हमेशा नहीं रहने वाले। दान का अर्थ है देना। इसमें क्षमा भी सम्मिलित

अब तक हम मुख्य रूप से केवल कैलाश मानसरोवर के विषय में सुनते या जानते आ रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है एक और आदि कैलाश है, जो कि भारत में ही है और उसे कैलाश के समान ही दर्जा प्राप्त है। यह पंच कैलाश में से एक है। माना जाता है कि जब

हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा, विकास खंड नगरोटा बगवां की पंचायत सिहुंड में लगभग 1000 वर्ष प्राचीन डीनू नाग बाबा का मंदिर है। जानकारी के अनुसार डीनू नाग बाबा सतयुग में पाताल लोक से मृत्यु लोक में भ्रमण के लिए निकले, कई वर्ष भ्रमण करने के बाद नाग बाबा नगरोटा बगवां की सिहुंड नाम की

प्रदोष व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है, इसलिए इसे वार के अनुसार पूजन करने का विधान शास्त्र सम्मत माना गया है। प्रत्येक वार के प्रदोष व्रत की पूजन विधि अलग-अलग मानी गई है। व्रती ब्रह्म मुहूर्त