आस्था

ककड़ी यानी गर्मियों के मौसम में आने वाला बेहतरीन फल। इसका सेवन कच्ची अवस्था में ही किया जाता है। कच्ची ककड़ी में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जिससे यह कई रोगों से बचाव करती है। गर्मी के मौसम में ज्यादातर लोग ककड़ी खाना खूब पसंद करते हैं। इसमें कैल्शियम फास्फोरस, सोडियम और मैगनीशियम

खीरे के दो टुकड़े ले लीजिए। आधे खीरे को कद्दूकस कर लें। अब इसमें दो चम्मच दूध या मिल्क पाउडर मिला लें। इसके साथ इसमें नींबू की कुछ बूंदें मिला लें। इसे त्वचा के टैनिंग से प्रभावित हिस्से पर लगाएं और सूखने के बाद इसे साधारण पानी से धो लें। आप हफ्ते में एक बार

19 मई रविवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, प्रथमा 20 मई सोमवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, द्वितीया, नारद जयंती 21 मई मंगलवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, तृतीया 22 मई बुधवार,  ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, चतुर्थी, गणेश चतुर्थी व्रत 23 मई बृहस्पतिवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, पंचमी 24 मई शुक्रवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, षष्ठी 25 मई शनिवार, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, षष्ठी, पंचक प्रारंभ

बच्चा अगर बहुत ज्यादा थकान का शिकार होता हो, उसे सर्दी-जुकाम बना रहता हो, नाक में खुजली हो तो उसे एलर्जी हो सकती है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कमजोर होने के कारण बच्चे जल्दी एलर्जी का शिकार हो जाते हैं… मौसम बदलने के कारण जो एलर्जी होती है, उसे सीजनल

प्रतिभाशाली बालक ने अर्थ, धर्म, काम की शिक्षा सम्यक रूप से प्राप्त की, परंतु जब पुनः पिता ने उससे पूछा तो उसने श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन, इन नौ भक्तियों को ही श्रेष्ठ बताया…. नृसिंह अवतार हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चतुर्थ अवतार

मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीतांबरा भी है। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है, इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी

-गतांक से आगे… सर्वदेवमया दक्षा समुद्रांतरवासिनी। अकलङ्का निराधारा नित्यसिद्धा निरामया।। 46।। कामधेनुबृहद्गर्भा धीमती मौननाशिनी। निःसङ्कल्पा निरातङ्का विनया विनयप्रदा।। 47।। ज्वालामाला सहस्राढ्या देवदेवी मनोमया। सुभगा सुविशुद्धा च वसुदेवसमुद्भवा।। 48।। महेंद्रोपेंद्रभगिनी भक्तिगम्या परावरा। ज्ञानज्ञेया परातीता वेदांतविषया मतिः।। 49।। दक्षिणा दाहिका दह्या सर्वभूतहृदिस्थिता। योगमाया विभागज्ञा महामोहा गरीयसी।। 50।। संध्या सर्वसमुद्भूता ब्रह्मवृक्षाश्रियाऽदितिः। बीजाङ्कुरसमुद्भूता महाशक्तिर्महामतिः।। 51।। ख्यातिः प्रज्ञावती संज्ञा महाभोगींद्रशायिनी।

बुद्ध पूर्णिमा वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इसे बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्योहार है। पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की

राजा के वचन से आहत होकर दुर्गा दत्त ब्राह्मण ने अपने पूरे परिवार सहित एक घर में बंद होकर आत्मदाह कर लिया। ऐसी कथा आती है उसी समय से राजा रोगी हो गया। धीरे- धीरे राजा जगतसिंह कुष्ठ रोग से पीडि़त हो गए। इस बीमारी से मुक्ति तब जाकर मिली, जब अयोध्या से पयहारी बाबा