आस्था

कुछ लोग व्रत के दौरान पूरे दिन तो कुछ नहीं खाते, लेकिन रात को हैवी मील लेते हैं, जिसका नतीजा यह  कि उन्हें कई बार फूड प्वाइजनिंग का सामना करना पड़ता है। डाक्टरों की मानें तो जो व्यक्ति नवरात्र के दिनों में व्रत रख रहे हैं, वे खाली पेट न रहते हुए ज्यादा से ज्यादा

आधुनिक लाइफ स्टाइल के चलते हमारी खाने-पीने की आदत काफी बदल गई है। हम पौष्टिक चीजें खाने की बजाय स्वाद को अधिक प्राथमिकता देने लगे हैं, जैसे जंक फूड, तली-भुनी चीजें, कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट, आइस्क्रीम आदि। खान-पान में गड़बड़ी के चलते शरीर में कैल्शियम की कमी एक आम समस्या हो गई है, जो आगे चलकर

कूपर फैमिली ने 1950 के आसपास टेक्सास में एक पुराना घर खरीदा। उस घर में पहली रात जश्न मनाने के दौरान उनके पिता ने परिवार की फोटो ली। इस फोटो के डेवलप होने के बाद पूरा परिवार ही आतंकित हो गया, क्योंकि फोटो में परिवार के साथ एक लटकती हुई लाश भी दिखाई दे रही

जंगमवाड़ी मठ वाराणसी के सारे मठों में सबसे पुराना है। इस मठ में शिवलिंगों की स्थापना को लेकर एक विचित्र परंपरा चली आ रही है। यहां आत्मा की शांति के लिए पिंडदान नहीं बल्कि शिवलिंग दान होता है। इस मठ में एक-दो नहीं, बल्कि कई लाख शिवलिंग एक साथ विराजते हैं। यहां मृत लोगों की

इसकी परिक्रमा का महत्त्व भी वर्णनयोग्य है। कैलाश पर्वत कुल 48 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। कैलाश परिक्रमा मार्ग 15500 से 19500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। मानसरोवर से 45 किलोमीटर दूर तारचेन कैलाश परिक्रमा का आधार शिविर है। कैलाश की परिक्रमा कैलाश की सबसे निचली चोटी तारचेन से शुरू होती है …

कुछ तिथियां इतनी महत्वपूर्ण  बन जाती हैं कि वह आगे आने वाले समाज को न सिर्फ निरंतर प्रभावित करती रहती हैं, बल्कि आत्म अवलोकन एवं आत्मनिरीक्षण करते हुए मानवता के प्रति अपने दायित्वों का भी  बोध कराती रहती हैं। 11 सितंबर कुछ उन्हीं विशिष्ट तिथियों में से एक है। सन् 1893 में इसी दिन स्वामी

इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर अथवा गोल्डन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है। यूं तो यह सिखों का गुरुद्वारा है, लेकिन इसके नाम में मंदिर शब्द का जुड़ना यह स्पष्ट करता है कि भारत में सभी धर्मों को एक समान माना जाता है… भारत

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह भले ही पंजाब से थे, लेकिन उनका अधिकतर जीवन अंद्रेटा (हिमाचल) की प्राकृतिक छांव में सृजनशीलता में बीता। इन्हीं की जीवनी और उनके विविध विषयों पर विचारों को लेकर आए हैं प्रसिद्ध लेखक डॉ, कुलवंत सिंह खोखर। उनकी लिखी पुस्तक

शक्ति उपासकों में नवार्ण मंत्र को सर्वाधिक शक्तिशाली और संपूर्ण माना जाता है। इस मंत्र में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती, तीनों देवियों की शक्तियों का समन्वय हुआ है। संभवतः इसी कारण नवार्ण मंत्र का जाप करने वाले साधकों को प्रभुत्व, विद्या और लक्ष्मी सभी की प्राप्ति होती है और जीवन में एक उत्कृष्ट कोटि का