आस्था

भारत के तौर तरीके हमेशा से ऐसे ही रहे हैं। जब हर किसी को लगता है कि यह संस्कृति नष्ट हो गई, हर सीमा से परे भ्रष्ट हो गई, तो अचानक कोई बहुत बढि़या उदाहरण आपके सामने आ खड़ा होगा, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि ‘हां अभी एक उम्मीद है।’ रामराज्य एक

भगवान राम का चरित्र और चिंतन भारतीय जनमानस में गहरे तक रचा-बसा है। उनके व्यक्तित्व में निहित आदर्शों को आम लोगों तक पहुंचाने में रामलीला का अहम योगदान है। यह नाट्य की बहुत लोकप्रिय और अद्भुत देशज परंपरा है। रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण के जीवन के वृत्तांत का वर्णन किया जाता है। रामलीला

मंदिर में सोने पर आते हैं सांकेतिक स्वप्न… हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लडभड़ोल तहसील के सिमस नामक खूबसूरत स्थान पर स्थित माता सिमसा मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। माता सिमसा या देवी सिमसा को संतान दात्री के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष यहां निसंतान दंपति संतान पाने की इच्छा ले

माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। रावण ने जब सीता का अपहरण कर लिया, तो राम उनकी खोज में वन-वन भटकने लगे। भगवान राम जब दक्षिण दिशा की ओर जा रहे थे, तो रास्ते में उन्हें वैष्णवी नाम की एक दिव्य कन्या मिली। राम और लक्ष्मण

यूं तो संपूर्ण उज्जैन पौराणिक गाथाओं के पृष्ठों से अलंकृत है, किंतु इन पृष्ठों में भी कुछ ऐसे पृष्ठ हैं जो एक साथ श्रद्धा, कौतूहल और आनंद की अनुभूति कराते हैं। इन्हीं में से एक है श्री हरसिद्धि देवी का मंदिर। उज्जैन की इस प्राचीन शक्तिपीठ का वर्णन स्कंदपुराण में है। इसी स्थल पर दक्ष

वाराणसी में स्थित दुर्गाकुंड में मां दुर्गा का भव्य एवं विशाल मंदिर है। जहां हर समय दर्शनार्थियों का आना लगा रहता है। खासकर नवरात्र में तो इस मंदिर का महत्त्व और बढ़ जाता है। शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां को कुष्मांडा माता के रूप में पूजा जाता है। इस दौरान मंदिर को भव्य तरीके

गर्मियों ने दस्तक दे दी है और बदलते मौसम में  त्वचा की विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है। ऐसे मौसम में धूप के कारण चेहरे की चमक गायब हो जाती है। उमस, तापमान, प्रदूषण, हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सामना और बदलती जीवनशैली जैसे कारकों से त्वचा प्रभावित होती है। इसलिए त्वचा की देखभाल संबंधी

2 अप्रैल रविवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, षष्ठी      स्कंद षष्ठी व्रत 3 अप्रैल सोमवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, सप्तमी 4 अप्रैल मंगलवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, अष्टमी, श्रीदुर्गाष्टमी, श्री रामनवमी 5 अप्रैल बुधवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, नवमी 6 अप्रैल बृहस्पतिवार, चैत्र, शुक्लपक्ष , दशमी 7 अप्रैल शुक्रवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, एकादशी कामदा एकादशी व्रत 8 अप्रैल शनिवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, द्वादशी, शनि प्रदोष व्रत

बाबा हरदेव इनसान की अज्ञानता ने इसको कहां-कहां गिराया है, इसको कहां-कहां पटका है, लेकिन हूड़मति इनसान उससे भी बाज नहीं आता है। उसी रास्ते पर चलता चला जाता है, वही संकीर्ण सोच रखकर चलता जाता है। फिर वो जिधर से गुजरता है विनाश और मातम फैलाता चला जाता है। इस प्रकर से धरती पर