संपादकीय

अयोध्या विवाद अभी तक अनसुलझा है, बल्कि नए बयान और दावे किए जा रहे हैं, जो 1992 के हालात पैदा कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने अजीब सवाल किया है कि भगवान राम तो पूरे विश्व में हैं, सर्वव्यापक हैं, फिर अयोध्या में ही राम मंदिर क्यों बनाया जाए? दूसरे,

कला-संस्कृति के हिमाचली कंधों ने एक चर्चित लोक गायक, लेखक एवं सांस्कृतिक पुरोधा खो दिया, तो मौन के निशब्द माहौल में इस योगदान की समीक्षा बड़े स्तर पर होगी या यह कहानी कि प्रताप चंद शर्मा ने परिवेश को स्वर लहरियों का चिरंतन सौंप दिया। हिमाचली लोक गायकी के जिस सौपान पर प्रताप चंद शर्मा

पंजाब में करतारपुर साहिब कॉरिडोर का शिलान्यास उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कर एक ऐतिहासिक मार्ग का सूत्रपात किया है। सिखों के प्रथम गुरु बाबा नानक देव के 550वें प्रकाश-पर्व पर यह आस्थामयी शुरुआत हो रही है। दूरबीन से निहारने और मत्था टेकने वाले करीब 12 करोड़ नानकभक्त अब गलियारे के जरिए पाकिस्तान जाकर करतारपुर

हिमाचल से आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी-अपनी आकृति बनाने की होड़ शुरू हुई है, तो सामने राजनीतिक कंकाल भी नाचने लगा। विडंबना यह कि सबसे साक्षर व जागरूक हिमाचल के पल्ले वही पड़ रहे हैं, जो कायदे से बाहर हो जाने चाहिएं। हर मंजर पर सवार राजनीतिक दोहन की उच्द्दृंखलता और कसीदे काढ़ते छल का

सिरमौर में बस हादसा फिर यह साबित कर गया कि हिमाचल में सड़कों पर अनियंत्रित वाहनों पर न पहले अंकुश था और न अब है। श्रीरेणुका जी में जो मरे, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। न परिवहन विभाग आपसी प्रतिस्पर्धा में चलते ऐसे निजी वाहनों पर नकेल कस सका और न ही ट्रैफिक नियंत्रण में पुलिस

वाह मैरी कॉम वाह!! क्या मुक्के बरसाए हैं तुमने !! फिसल कर खड़े होना और फिर आक्रमण को बरकरार रखना!! मैरी, तुम विश्व चैम्पियन ही नहीं, मुक्केबाजी की सुपर मॉम हो। तुमने भारत के लिए मुक्केबाजी को नए सिरे से परिभाषित किया है। तुम महिला के रूप में मुहम्मद अली और टायसन की ही संस्करण

हिमाचल में व्यवस्थागत प्रणाली से प्रणय का हिसाब लगाएं, तो कोई भी सरकार कर्मचारी स्थानांतरण, भूमि अधिग्रहण, शिक्षण संस्थान युक्तिकरण और घाटे के सार्वजनिक उपक्रमों पर नीतिगत फैसलों से बचती रही है, फिर भी उम्मीद रहती है कि कभी तो सोच में परिवर्तन आएगा। इस बार शिक्षा विभाग के नजरिए से संबंधित मंत्री का समर्पण

प्रधानमंत्री मोदी की अत्यंत बूढ़ी मां के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किसी और ने नहीं, बल्कि उप्र कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने किया है। वह एक जिम्मेदार राजनीतिक पद पर हैं। कमोबेश संबंधों और बुजुर्गियत का तो ख्याल रखें। हम दुनिया के श्रेष्ठ लोकतंत्र होने का दावा करते हुए नहीं थकते। यह लोकतंत्र कैसे

समाज की प्रगतिशीलता पर कोई भी देवता न तो प्रतिबंध लगाता है और न आस्था का ऐसा कोई दस्तूर आज के युग में स्वीकार्य है, फिर भी इनसानी फितरत का भदेसपन हमारे सामाजिक आईने को चकनाचूर कर देता है। कुल्लू के देवसमाज का अभिप्राय मानव इतिहास की सांस्कृतिक ऊर्जा है, लेकिन इसकी छांव में समाज