संपादकीय

वाह मैरी कॉम वाह!! क्या मुक्के बरसाए हैं तुमने !! फिसल कर खड़े होना और फिर आक्रमण को बरकरार रखना!! मैरी, तुम विश्व चैम्पियन ही नहीं, मुक्केबाजी की सुपर मॉम हो। तुमने भारत के लिए मुक्केबाजी को नए सिरे से परिभाषित किया है। तुम महिला के रूप में मुहम्मद अली और टायसन की ही संस्करण

हिमाचल में व्यवस्थागत प्रणाली से प्रणय का हिसाब लगाएं, तो कोई भी सरकार कर्मचारी स्थानांतरण, भूमि अधिग्रहण, शिक्षण संस्थान युक्तिकरण और घाटे के सार्वजनिक उपक्रमों पर नीतिगत फैसलों से बचती रही है, फिर भी उम्मीद रहती है कि कभी तो सोच में परिवर्तन आएगा। इस बार शिक्षा विभाग के नजरिए से संबंधित मंत्री का समर्पण

प्रधानमंत्री मोदी की अत्यंत बूढ़ी मां के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किसी और ने नहीं, बल्कि उप्र कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने किया है। वह एक जिम्मेदार राजनीतिक पद पर हैं। कमोबेश संबंधों और बुजुर्गियत का तो ख्याल रखें। हम दुनिया के श्रेष्ठ लोकतंत्र होने का दावा करते हुए नहीं थकते। यह लोकतंत्र कैसे

समाज की प्रगतिशीलता पर कोई भी देवता न तो प्रतिबंध लगाता है और न आस्था का ऐसा कोई दस्तूर आज के युग में स्वीकार्य है, फिर भी इनसानी फितरत का भदेसपन हमारे सामाजिक आईने को चकनाचूर कर देता है। कुल्लू के देवसमाज का अभिप्राय मानव इतिहास की सांस्कृतिक ऊर्जा है, लेकिन इसकी छांव में समाज

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2019 में आम चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस संभावना को खारिज नहीं किया है। फिलहाल नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निर्णय को अदालत में चुनौती देने से साफ इनकार कर दिया है। नेशनल कान्फ्रेंस ने तो समर्थन का कोई औपचारिक

इसे हम पूर्व सरकार के फैसले पर चलती कैंची की तरह न लें, तो तेरह नर्सिंग कालेजों को निरस्त करने से सियासत दिखाई नहीं देगी, लेकिन दूसरी ओर घोषणाओं की फेहरिस्त में स्थापित होते सरकारी संस्थान भी तो इसी तर्क से बंधने चाहिएं। सरकार की एक साल की उपलब्धियों में नए कार्यालय व संस्थानों की

मध्यप्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का जो वीडियो बेनकाब हुआ है, उसके मद्देनजर यह सवाल स्वाभाविक है कि चुनाव एक संवैधानिक या मजहबी प्रक्रिया है? क्या सार्वजनिक तौर पर हिंदू-मुसलमान समुदायों के नाम पर वोट मांगे जा सकते हैं और यह संवैधानिक भी होगा? एक ओर कमलनाथ का दावा है कि हिंदुओं के करीब 80

क्या मुस्लिम वोट किसी नेता या पार्टी की बपौती हो सकते हैं? क्या ओवैसी सरीखे नेता मुस्लिम वोट को कांग्रेस या भाजपा की ओर स्थानांतरित कर सकता है? क्या मुस्लिम वोटों की सौदेबाजी संभव है और सिर्फ उन्हीं के जरिए सत्ता हासिल की जा सकती है? क्या मुस्लिम वोटों की खरीद-फरोख्त के लिए ओवैसी या

जयराम सरकार ने फैसलों की बरसात में राहत और रिश्ते बड़े करीने से सजाए हैं, अतः निर्णायक होने की मुद्रा में नीतियों की कुंडलियां भी खुली हैं। अनधिकृत निर्माण को नियमित करने की दस फीसदी छूट से कई लंबित फाइलों की गांठें खुलेंगी और इस तरह अड़चनों का ठहराव भी टूटेगा। पर्यटन परिवहन क्षेत्र में