संपादकीय

किसी भी चुनाव की ताकत का अंदाजा लगाना मुश्किल है और जब देश, नेता, पार्टियां और समाधान एकत्रित होकर गंगा सी पवित्रता दिखाने लगें, तो मानो भविष्य भी नहा लेता है। यही कसरतें हिमाचल के नजदीक खड़ी होकर हर किसी को पुकार रही हैं, तो हमारे आसपास जादू का घेरा बढ़ रहा है। लंबे होर्डिंग

करीब 300 हिंदू परिवारों को दुर्गा पूजा नहीं करने दी गई। इससे पहले भी रामनवमी के उत्सव पर आरएसएस के कार्यकर्ता जुलूस निकालना चाहते थे, लेकिन सरकार और पुलिस ने इजाजत नहीं दी। बलूचिस्तान और कश्मीर पर आधारित कोई कार्यक्रम किया जा रहा था, जिसे अचानक रद्द करना पड़ा। दुर्गा पूजा और रामनवमी के मुद्दों

आतंकवाद के खिलाफ व्यापक संकल्प लिया भारत-इजरायल के प्रधानमंत्रियों ने, लेकिन हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर जो रैली बर्मिंघम में की जानी थी, ब्रिटेन सरकार ने उसे रद्द कर दिया। यह भारत-इजरायल के संकल्प पर अंतरराष्ट्रीय सहमति की एक बानगी है। साझा घोषणा पत्र के बाद स्पष्ट हुआ है कि भारत-इजरायल आतंकवाद और

जब तक हिमाचल कांग्रेस ने प्रदेश भाजपा के प्रचार का उत्तर ढूंढा, तब तक चुनावी काफिलों में शाह-मोदी की पार्टी अपनी फतह का मजमून बता चुकी है। इसमें अंतर अधिक नहीं कि कौन सी पार्टी पैदल चल रही या रथ पर सवार है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भाजपा की रणनीति प्रदेश राजनीति के हर

एक दोस्ती की नई शुरुआत…। कूटनीति, सामरिक, आतंकवाद, कारोबार से लेकर खेती, सिंचाई, साइबर और बालीवुड सिनेमा तक की शुरुआत गहरी होती हुई…। इजरायल से अतीत में हमारे क्या संबंध थे, महात्मा गांधी ने 1937 में फिलिस्तीन की पैरवी क्यों की थी, आजादी के बाद भारत की नेहरू सरकार की विदेश नीति गुटनिरपेक्ष आंदोलन की

हमारे इर्द-गिर्द चक्कर लगाता वार्षिक वन महोत्सव हाजिर है और इसकी फरमाइश में सारा तंत्र नाचेगा, लेकिन योगदान की भूमिका ने आज तक परिभाषित क्या किया। दरअसल पौधारोपण और वनीकरण के बीच केवल एक विभाग संतुष्ट रहता है, जबकि परिवेश की मजबूती में इसे त्योहार की तरह देखना होगा। हिमाचली परिप्रेक्ष्य में हर पौधारोपण मात्र

किसी भी सरकार की प्रस्तुति इसके मंत्रियों के हिसाब से हो सकती है, लेकिन हिमाचल में मुख्यमंत्री का ही पलड़ा सदा भारी रहता है। यह विडंबना है कि विजन की पड़ताल में चंद ओहदेदार ही परिचय पाते हैं, जबकि सुस्त धमनियों में तो इस बार भी कई मंत्री शरीक हैं। सक्रियता के अंजाम में वीरभद्र

‘ऐ विश्व हिंदू परिषद वालो, बजरंग दल वालो, ऐ नरेंद्र मोदी, सुन ले’ यह देश किसी के बाप की जागीर नहीं है।’ बेशक हिंदोस्तान उसके बाशिंदों, नागरिकों और पूरे अवाम की भी जागीर नहीं है, यह देश ओवैसी की सपोली औलादों की भी जागीर नहीं है। बाप का नाम हम नहीं ले रहे हैं, क्योंकि

एक बार फिर राहत के बदले आहत हुए हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सामने अदालती फरमान और सामने भाजपा की आलोचना का पुख्ता होता सबूत। ईडी और सीबीआई जांच दस्तावेजों सहित जो मामला दिल्ली हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा कर चुका है, उसकी रगड़ से बचाव का पक्ष भी हार गया।