विचार

( स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा ) बचाव वाली मुद्रा में क्या कभी हम कश्मीर मसले को सुलझा पाएंगे? पाकिस्तान को जवाब देने के लिए हम हर बार पाकिस्तान की किसी दरिंदगी का इंतजार क्यों करते हैं? इस रक्षात्मक दृष्टिकोण के साथ क्या हम पाकिस्तान के दुस्साहस को नहीं बढ़ा रहे। बेशक एनडीए सरकार में पाकिस्तान

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग के बैजनाथ-पालमपुर खंड की हालत किसी लावारिस सड़क जैसी दयनीय बनी हुई है। इस रूट पर जगह-जगह गड्ढों की भरमार है और ट्रैफिक की अधिकता के कारण सामान्य से दोगुना समय सफर पूरा करने में लगता है। ऊपर से निराश्रित पशुओं के झुंड सड़क के

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं जिस तरह से भारतीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में केजरीवाल अप्रासंगिक होते जा रहे हैं, वहां से केजरीवाल युग का अंत करीब दिखने लगा है। एक के बाद एक हार के लिए उन्होंने ईवीएम को कोसना शुरू कर दिया। इसके लिए उनके संरक्षक रहे अन्ना

विकास और विस्तार की जिस परिभाषा में हिमाचल पल रहा है, वहां जिंदगी और भविष्य की काबिलीयत क्यों हार रही है। तकनीकी विश्वविद्यालय की रचना में खुले तमाम इंजीनियरिंग कालेज अगर बिखरे, तो युवाओं की काबिलीयत में शंकाएं भर दीं और हालत यह है कि निजी विश्वविद्यालय भी केवल सजावटी इमारतें बनकर रह गए। अब

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं हिमाचल प्रदेश में वैसे भी करोड़ों सैलानी प्रतिवर्ष यहां आते हैं। साहसिक खेलों के द्वारा सैलानियों को लुभाकर हिमाचल प्रदेश में जहां पर्यटन उद्योग से हजारों को रोजगार मिलेगा, वहीं पर हिमाचली इन साहसिक खेलों में निपुण होंगे… वर्षों बाद ही सही, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला अब राज्य

मेवरिक रोशन चौहान लेखिका, सुंदरनगर हैं 1967 में, नक्सलबाड़ी गांव, पश्चिमी बंगाल में अपने तथाकथित शोषण और अधिकारों के विरुद्ध एक विद्रोह शुरू हुआ, जो पूर्वी राज्य-पश्चिमी बंगाल, बिहार, ओडिशा, दक्षिणी राज्य-आंध्र प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र की सीमाओं को लांघता हुआ लगभग 200 जिलों में अपनी गहरी  पकड़ बना चुका है। यहां

( शगुन हंस, कांगड़ा ) देवभूमि हिमाचल अब अपने पड़ोसी पंजाब की राह पर चल रहा है। वैसे पंजाब की गिनती खुशहाल और समृद्ध राज्यों में होती है, पर हिमाचल उसकी खुशहाली और समृद्धि की नहीं बल्कि नशे के नक्शे कदम और एटीएम की लूट की राह पर चल रहा है। लगातार दो दिन प्रदेश

( जग्गू नौरिया, जसौर, नगरोटा बगवां ) गुजारिश है, हे कलम अब तो टूट जा, कब तक लिखूं कायरों के किस्से, दवात स्याही की तू ही सूख जा। मेरी मति ढीठ की है, जो होता लिखवा देती, सफेद लिवास की करतूतें काली, हे चरित्र कालिमा तू ही छिप जा। फख्र से चलता हूं, गुनहगार से

( रूप सिंह नेगी, सोलन ) हर देशवासी पाकिस्तान की वहशियाना हरकत से आहत है और इस घड़ी में सरकार की हर कार्रवाई में साथ खड़ा है। हर नागरिक की बस एक ही मांग है कि पाकिस्तान को इस हरकत के लिए सबक सिखाओ। अब पाकिस्तान को सबूत देने का कोई औचित्य नहीं रह गया