विचार

कृपया मेरा नाम किसी के साथ न जोड़ा जाए। न तो मैं सीधी तरह उधर हूं और न ही सीधी तरह इधर हूं। मैं बीच में हूं और समय की धार देख रहा हूं। आप यूं भी कह सकते हैं कि मैं तटस्थ आदमी हूं।

या तो यहां नक्शा बड़ा था, या हमने उसे पढ़ा नहीं। हिमाचल में जो डाक्टर बन गए, वे हड़ताल के सुपुर्द हैं और जो बन रहे हैं, उनकी गलियों में कीचड़ भरा है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर केंद्र सरकार ने रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में 100 रुपए कमी कर महंगाई से कुछ राहत दी है। रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें पिछले कुछ समय से बढ़ती ही जा रही थी। विपक्ष बेशक इसे राजनीति के चश्मे से देखेगा, क्योंकि कुछ ही समय बाद लोकसभा चुनाव भी हैं, लेकिन आमजन को इससे कुछ राहत मिलेगी।

आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं द्वारा हासिल की गई सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सफलताओं का जश्न मनाना जरूरी है, ताकि हर महिला में कुछ नया करने की संजीवनी भर जाए, उनमें नए पंख लग जाएं

मथुरा कन्हैया लाल (श्रीकृष्ण) आ तो गए, लेकिन उनका मन होली के आते ही व्याकुल हो उठा। राधा तथा अन्य गोपियों की याद उन्हें सताने लगी। उद्धव से बोले- ‘उद्धव, मोहे ब्रज बिसरत नाहीं’। उद्धव बोले- ‘भगवन् आपने ही मथुरा आने की जल्दबाजी की। अभी आप कह रहे हैं कि आप ब्रज को भुला नहीं पा रहे हैं। ब्रज को भुलाना संभव भी नहीं है। आपने वहां वर्षों रास रचाया है। गोपियों की दही-मक्खन की मटकियां फोड़ी हैं और होली पर खूब गुलाल-अबीर उड़ाया है। मैंने तो आपसे कहा भी था कि मथुरा होली के बाद चलेंगे

आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सारी दुनिया में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत बेशक विदेशों से हुई हो, लेकिन भारत में भी अब इस पर विभिन्न प्रोग्रामों का आयोजन किया जाने लगा है। समय के साथ भारत की महिलाओं की दशा और सोच में काफी बदलाव आया है। आज भारत की नारी भी हर क्षेत्र, चाहे वो राजनीति का हो, सामाजिक हो या फिर अन्य, में अपना वर्चस्व कायम कर रही है।

भारत में नकली दवाओं के उत्पादन और प्रसार का बाजार करीब 35,000 करोड़ रुपए का है। यह कोई सामान्य आंकड़ा नहीं है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने व्यापक स्तर पर नकली दवाएं बनाई जा रही हैं और औसत बीमार आदमी को बेची जा रही हैं! कितनी बीमारियां घनीभूत हो रही हैं और कितनों पर मौत का साया मंडरा रहा है? यह बाजार इतना व्यापक कैसे बना, यह हमारी प्रशासनिक और जांच संस्थाओं पर बड़ा सवाल है। ये नकली दवाएं, जिन्हें औषधि कहना ही गलत और पाप है, किसी गांव में या उपेक्षित कस्बे के किसी कोने में चुपचाप नहीं बनाई जा रही हैं, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गाजियाबाद में धड़ल्ले से बनाई जाती रही हैं

विकास के नए स्रोत पर खड़ी हिमाचल सरकार खुद को चिन्हित करती हुई, नागरिक आशाओं की पैरवी कर रही है। राजनीतिक घटनाक्रम के अतीत से निकल कर सुक्खू सरकार के पैगाम अपनी तीव्रता के केंद्र बिंदुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं। गारंटियों की इतिला के बाद विकास की गंगा के साथ मुख्यमंत्री के संदेश स्पष्ट हैं और इसी आधार पर कांगड़ा व हमीरपुर के नाम दर्ज 861 करोड़ अपनी कहानी बता रहे हैं। लाभान्वित विधानसभा क्षेत्र मुखातिब हैं, तो सरकार की प्राथमिकताएं भी चमत्कार कर रही हैं। वर्षों से एक नए बस स्टैं

तब उन्होंने ‘ममता बनर्जी’ वाला सूत्र अपनाया। शाहजहां को सीबीआई को नहीं दिया। जो करना हो, कर लो। सारा बंगाल देख रहा है। आखिर ममता बनर्जी शाहजहां को इस सीमा तक जाकर भी क्यों बचाना चाहती हैं? यह प्रश्न शेषनाग की तरह फन तान कर उसके सामने खड़ा है। ममता बनर्जी को किस बात का डर है? दूसरे दिन हाई कोर्ट फिर आदेश देता है। शाहजहां को बंगाल पुलिस की सुरक्षा से निकाल कर सीबीआई को सौंप दिया जाए। लगता है हाईब्रिड तक ममता सरकार के शाहजहां को बचाने के सारे हथियार खत्म हो गए हैं। आखिर शाहजहां सीबीआई की कस्टडी में पहुंच गया है। सुना है इसको लेकर ममता बहुत बड़ी रैली करने जा रही हैं