वैचारिक लेख

जिस लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव को फांसी दी गई थी, वह पूरी तरह ज़मींदोज़ हो चुकी है। उसके सामने एक मस्जिद का निर्माण हो चुका है। भगत सिंह की शहादत की धरोहर को भावी पीढिय़ों के लिए संरक्षित कर उसे संग्रहालय का रूप देने की ओर पाकिस्तान

राम मनोहर लोहिया ने बहुत अरसा पहले यह प्रस्ताव रखा था। इसके बाद यदि मुसलमानों को लगे कि उनकी पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकता के कोई मायने नहीं बचे हैं तो फिर वे स्वयं एकीकृत भारत की मांग उठाएं। तभी उन्हें नागरिकता मिलेगी...

निंदक पास में ही था, बोला-‘क्या लिखने लगे हो शर्मा जी। थोड़ा सा स्तर बनाओ। चार दशक की लेखन यात्रा को कुएं में क्यों डाल रहे हो? कुछ करो मेरे भाई, जमकर और सोचकर लिखो। वसंत बीता नहीं कि तुमने होली वाला लिफाफा निकाल लिया। होली पर लिखना और छपवाना बीते जमाने की बात है। कुछ धांसू, उल्लेखनीय और नया लिखो।’ मैं बोला-‘रे निंदक मैंने आंगन तुम्हारी कुटिया बनाकर क्या आफत मोल ली है। तुम क्या जानो छपने के गुर, मुझसे अधिक और कोई नहीं जानता। होली पर मैं चालीस वर्षों से लिख रहा हूं। मैंने चालीस वर्षों में चार सौ होली रचनाएं लिखी हैं। हर होली पर इनमें से बीस प्रतिशत रचना

फल की इच्छा का परित्याग पूर्वक समस्त कर्मों का ईश्वर को समर्पण करना ईश्वर प्राणिधान कहलाता है। हजारों साल पहले भारतीय शोधकर्ताओं ने योग की क्रियाओं से होने वाले लाभों को समझ लिया था, जो आज की चिकित्सा व खेल विज्ञान में योग

हम मानें या न मानें, हमें मालूम हो या न हो, पर हम किसी न किसी चिंता से, परेशानी से, दुख से, पछतावे से, नफरत से, गिले वाले विचार से घिरे ही रहते हैं। ये विचार ही हमारी मानसिक व्याधियों का कारण बनते हैं जो बाद में शारीरिक बीमारी के रूप में बदल जाते हैं और जीवन दूभर बना देते हैं। स्पिरिचुअल हीलिंग इनकी रोकथाम का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक अनुभवी स्पिरिचुअल

वक्त बदलने के साथ-साथ बातों का अर्थ, जीने का अंदाज, प्रेमालाप का तरीका तक कुछ इस कद्र बदल गया है कि हम पहचान ही नहीं पाते कि क्या यह हमारा वही संसार है जिसमें हम तन कर हमेशा ‘सही को सही’ और ‘गलत को गलत’ कहते रहे। तब की बात और थी हुजूर। तब हम सच के हक में आवाज उठाते थे, तो दस लोग हमारी हां में हां मिलाने के लिए खड़े हो जाते थे। हां में हां मिलाने वालों की तो आज भी कमी नहीं, लेकिन जमाने ने सच के अर्थ और यथार्थ के सन्दर्भ ही बदल दिए, इसलिए हां में हां मिलाने वाले अब कि

भारत का इतिहास उन वीर बलिदानी भारत के बेटे-बेटियों से भरा है जिन्होंने स्वतंत्रता पाने के लिए देश हित में बलिदान दिया। यद्यपि उनमें से असंख्य ऐसे हैं जिन्हें कभी न इतिहास में स्थान मिला है, न लोक गाथाओं में, और शिक्षा जगत में तो उनको कभी स्थान मिला ही नहीं। कौन नहीं जानता कि 1857 के संग्राम में यह देखा-सुना गया कि अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति विफल होने के बाद गांवों में, शहरों में

पठानकोट-मंडी हाईवे प्रोजेक्ट आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड द्वारा निगमित और स्वामित्व में है। हालांकि एग्रीमेंट के अनुसार परियोजना के पूरा होने की नियत तिथि 18 मई 2022 को खत्म हो चुकी है, लेकिन हम भारतीयों को चूंकि लंबे समय तक

आप उन लोगों की लिस्ट तैयार करें जिनके साथ आपको हमेशा एक सहारा मिलता रहा है, जिनके पास आप अपना सुख-दुख बांट पाती हों या जिनके पास आप खुलकर हर बात बोल पाती हों। अकेलेपन की भले ही आप शिकार हों, लेकिन यह हमेशा खुद सोचें कि आपको जहां तक हो सके, सोशल बनना है। इसके लिए आप खुद को कहें कि आप इंट्रेस्टिंग हैं और आपको लोग पसंद