वैचारिक लेख

महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकारों ने सराहनीय कदम उठाए हैं, परंतु और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। महिला दिवस 2024 का थीम है, ‘इंस्पायर इंक्लूजन’। जब हम दूसरों को महिलाओं के समावेशन को समझने और महत्व देने के लिए प्रेरित करते हैं तो हम एक बेहतर दुनिया का निर्माण करते हैं, जब महिलाओं को स्वयं शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं तो अपनापन है...

कल रात कोई मेरे सपने में आया। भद्रपुरुष नहीं, सिम्पल सा पुरुष। अंदर धंसी हुई आंखें। पिचका हुआ चेहरा। आते ही मुझे जगाते उस पुरुष ने कहा, ‘जागो मोहन प्यारे!’ पर मोहन प्यारे जागे तो कहां से जागे! सारा दिन तो इधर उधर पेट के चक्कर में मारा मारा फिरता रहता है सबके आश्वासनों की पोटली पेट पर उठाए। मैं काली भेड़ें बेच कर सोया, फिर भी नहीं जागा तो उस पुरुष ने फिर मुझे जगाने की कुचेष्टा की, ‘उठो माई डियर पोते!’ अबके मैं गुस्साया! हद है यार! मान न मान, मैं तेरा दादा महान! यहां तो वे भी दादा के मरने के बाद अपने दादा को नहीं पहचानते जिन्होंने जीते जी अपने दादा को देखा हो तो मैंने तो अपने दादा को उनके जिंदा जी देखा ही नहीं, तो कैसे मान

हो सकता है आपको इस व्यंग्य के शीर्षक पर ऐतराज़ हो। आप कहें कि शाहरुख़ ख़ान की फिल्म बाज़ीगर के एक गीत में काली-काली आँखों या आमिर ख़ान की फिल्म मन में काली नागिन जैसी ज़ुल्फों की बात की गई है। ऐसे में आप ये काले-काले नाग कहाँ से ले आए। पर ये काले नाग मैंने पैदा नहीं किए। इसके लिए हमें ह्माचल के मुख्यमंत्री महोदय का धन्यवादी होना पड़ेगा, जिन्होंने अपनी पार्टी के

किसानों को उचित भाव मिलना और खेती में सुरक्षा एवं गरिमा महसूस करना महत्वपूर्ण लक्ष्य है। खेती को मिश्रित फसल चक्र पर ले जाना कृषि विकास के लिए जरूरी कदम होगा। मंडी व्यवस्था को बेहतर-न्यायसंगत बनाना कृषि बाजार के लिए उचित होगा। एमएसपी को कानूनी स्वरूप देना कृषि विकास के लिए एक मौका है...

स्वारघाट, भाखड़ा व पौंग डैम के किनारे सिर्फ डेस्टिनेशन शादियों के लिए समर्पित रिजॉर्ट बनाए जाएं तो पर्यटन के इस क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। प्रदेश की माली हालत को सुधारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत निवेश की है। इस निवेश के लिए विदेशों में जाने की जरूरत नहीं है। सरकार चुनिंदा 100 स्थानों पर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए समर्पित रिजॉर्ट के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध करवा दे तो निवेश के लिए प्रदेश के उद्यमी मौजूद हैं...

हम उम्मीद करें कि भारत की नई पीढ़ी अपने डिजिटल कौशल और अपनी प्रतिभा से रोजगार और स्वरोजगार के मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए आगामी तीन-चार वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगी...

पंचायत स्तर पर पंचायत प्रधान एवं पंचों को परंपरागत वाटर रिसोर्सेज के उचित रखरखाव के लिए जनभागीदारी से जल संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। नौजवानों को आगे आकर जल संरक्षण के लिए सकारात्मक प्रयास करने चाहिएं... जल को जीवन का अमृत कहा ग

बुद्धिजीवी पहले जुबान का अधिकतम प्रयोग कुछ कहने के लिए करता था। उसे बातों-बातों में स्वाद आता था, हालांकि खुद हमेशा कड़वी बात ही करता था, लेकिन जैसे ही बुद्धि ने उसे कमाना सिखाया, वह जीभ पर खाने का स्वाद भी चखने लगा। आश्चर्य यह कि बुद्धिजीवी अब महंगाई के स्वाद का आदी हो गया है, बल्कि उसने बाजार के विपरीत अपना स्वाद विकसित कर लिया है। यानी टमाटर वह तब खाता है, जब किसान इसे खेत से बाहर निकालकर फेंक रहा होता है। आलू तब खाता है जब किसान इसे खेत में ही सडऩे के लिए दबा रहा होता है। नासिक की बारिश उसे प्याज के काबिल बनाती है या पंजाब के खेत की लाचारी उसे खाने की

आखिर क्या कारण हैं कि एक ही पद तथा एक ही वेतनमान पर कार्यरत एक ईमानदार व एक भ्रष्ट कर्मी का जीवन स्तर न केवल अलग-अलग होता है, बल्कि एक कम वेतनमान वाले कर्मी का आलीशान बंगला व अन्य सुख-सुविधाएं दूसरे से कहीं अधिक होती हंै...