कुलदीप चंद अग्निहोत्री

जब मुसलमानों ने हज़रत मोहम्मद के ही नवासों को कर्बला के मैदान में घेर लिया था और उन्हें अमानुषिक यातनाएं देकर मार दिया था, तब उन बेचारों ने कौनसी ऐसी क्रिया कर दी थी जिसकी प्रतिक्रिया में उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा था? उनका कसूर केवल इतना ही था कि वे मुसलमान शासकों

शिव सेना के विधायकों ने ठीक ही कहा कि बाला साहिब ठाकरे ने हिंदुत्व के जिस सनातन मार्ग पर यात्रा प्रारंभ की थी, उनके पुत्र ने सत्ता मोह में उसे त्याग दिया। यह लड़ाई सोनिया गांधी के वैचारिक मंथन से सनातन मार्ग की रक्षा करने की है। सोनिया गांधी का संगठन किसी भी तरह भारतीय

भारत ने ठाकरे राजवंश का सद्य आरोपित पौधा उखाड़ दिया और वहां विचार पूंजी को लेकर राजवंशियों से प्रश्न पूछने शुरू कर दिए तो पूरा राजवंश ‘वर्षा’ छोड़कर मातोश्री में चला गया। और अब द्रौपदी मुर्मू भाजपा की ओर से भारत के राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी होंगी। ओडीशा के सुदूरस्थ मयूरगंज जिला के पिछड़े क्षेत्र

अब जाकर जम्मू-कश्मीर सरकार ने ज़हर के इस स्रोत को पहचाना है और उसको रोकने का प्रयास किया है। राज्य सरकार ने जमायते इस्लामी के लगभग तीन सौ स्कूलों को बंद करने का निर्णय किया है। दरअसल यह काम सरकार को बहुत पहले ही करना चाहिए था। अंग्रेज़ी भाषा में जिसे कहते हैं ‘टू निप

गुलाब सिंह लाहौर दरबार के इस पतन और भित्तरघात पर आंसू बहा रहे थे। लेकिन वे जानते थे कि यह वक्त रोने का नहीं है। सारा पश्चिमोत्तर भारत या सप्त सिन्धु ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा बनने जा रहा है। यहां भी यूनियन जैक लहराने लगेगा। पहाड़ में कहावत है, ‘सारी जावत देख के आधी की

ज़ाहिर है केजरीवाल अपने सत्ता विस्तार के अभियान में पंजाब को एक सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलेगी, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन अपने इस प्रयोग में वे पंजाब को पुनः अराजकता के दलदल में धकेल देंगे… पंजाब में बहुत मुश्किल से पाकिस्तान की साजि़श को नाकाम करते

भारत को समझने के लिए अब कांग्रेस को यूरोप वाला आइडिया छोड़ देना चाहिए। वह युग समाप्त हो गया। राहुल गांधी ने शायद ध्यान नहीं दिया कि यूरोप तो खुद हिंदुस्तान वाले आइडिया की तलाश कर रहा है। यूरोप का आइडिया शोषण, एकाधिकार और दूसरों को परतंत्र बनाने का है। भारत ने दो सौ साल

कोई पूछ सकता है कि आज तो मीडिया मिशन न रह कर व्यवसाय बन गया है, इसलिए क्या नारद इसमें अप्रासंगिक नहीं हो गए? शायद नहीं, क्योंकि यदि मीडिया व्यवसाय भी है तब उसके भी तो कुछ मानक व आदर्श होने ही चाहिए। नारद से उस स्थिति और दशा में भी प्रेरणा ली जा सकती

मीडिया इस पूरे झगड़े को हिंदू पक्ष व मुस्लिम पक्ष का झगड़ा बता कर प्रचारित कर रहा है। यह झगड़ा दरअसल भारतीय पक्ष और एटीएम यानी भारत में रह रहे अरब, तुर्क व मुगल पक्ष का है। एटीएम शायद अभी भी इस भ्रम में जी रहा है कि भारत में अभी भी तुर्कों का राज

हालांकि फिल्म निर्माता सुधीर मिश्रा एक साक्षात्कार में इस बात से इंकार करते हैं कि यह वैचारिक फिल्म है। लेकिन साथ ही वह यह भी मानते हैं कि इस फिल्म में नक्सलवादियों के प्रति समर्थन है। नक्सलवादी जिस ढंग से हिंसा करते हैं, गला रेत कर हत्या करते हैं, जिस वर्ग की लड़ाई लडऩे का