प्रो. सुरेश शर्मा ,लेखक घुमारवीं से हैं

इस व्यवस्था को चलाने के लिए अनेकों परिश्रमी, ईमानदार, समर्पित तथा कर्मठ अध्यापक निरंतर समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं जिन्हें ढूंढने की आवश्यकता है। शिक्षक के गौरव तथा आत्मसम्मान से विपरीत ऐसे असंवेदनशील वक्तव्य उसकी आत्मा को चीर कर छलनी कर देते हैं। साथ ही शिक्षक भी आत्मचिंतन व आत्म-विश्लेषण करें… यह सत्य

यह संयोग ही है कि 21 जून को ही विश्व संगीत दिवस तथा विश्व योग दिवस मनाया जाता है। योग एवं संगीत वास्तव में जीवन की अमूल्य निधियां हैं… सांगीतिक एवं योगिक क्रियाएं मनुष्य में आंतरिक एवं बाह्य शक्तियों को विकसित करती हैं। जीवन में यदि किसी वस्तु का मनुष्य के ऊपर सकारात्मक प्रभाव है

ई-पीटीएम के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई की जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ उपरोक्त प्रश्नों पर भी विचार करने तथा सरकार एवं विभागीय स्तर पर संवेदनशील होकर समाधान करने की आवश्यकता है… वैश्विक संचार क्रांति ने वर्तमान जीवन की परिभाषा ही बदल कर रख दी है। संचार का तात्पर्य ही भाव, विचार, जानकारी, ज्ञान तथा

विद्यार्थियों को इस नकारात्मक परिवेश में  सहयोग देकर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। अभिभावकों को इस समय अध्यापकों की भूमिका में आकर बच्चों का मार्गदर्शन कर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है… जीवन बचाने के संघर्ष में सामान्य परिस्थितियों की प्राथमिकताएं पीछे छूट गई हैं। लगभग डेढ़ वर्ष से वैश्विक कोरोना महामारी से जूझते हुए

उनकी आवाज़ के विशेष लगाव एवं आवाज़ गुणधर्म के कारण कई युवा गायक छाया प्रति की तरह उनका अनुकरण करते हैं। उनकी आवाज़ में एक आम जनमानस की वेदना तथा हृदय की पुकार है। वृद्धों, पुरुषों, स्त्रियों एवं युवाओं के दिल पर यह आवाज़ वर्षों से राज करती रही है… लोकसंगीत से हिमाचली संस्कृति को

वर्तमान स्थिति में सभी को अपना मानसिक, मनोवैज्ञानिक, संवेगात्मक, आर्थिक तथा सामाजिक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है… किसे पता था कि कोरोना जैसा दानव दुनियां के लोगों की हंसती-खेलती जि़ंदगी में एक तूफान सा पैदा कर देगा। क्या ख़बर थी कि यह महामारी लाखों लोगों को मौत का ग्रास बना लेगी। किसी को भी

प्रदेश स्तर पर एक बहुत ही मजबूत सांस्कृतिक नीति की आवश्यकता है जिसमें कला एवं संस्कृति के विकास तथा उत्थान के साथ सभी कलाओं के कलाकारों को आर्थिक रूप से समृद्ध एवं सबल बनाने की जरूरत है… लगभग एक वर्ष से कोरोना समाप्ति की प्रतीक्षा करते हिमाचली कलाकारों की आशाओं पर एक बार फिर से

इन गीतों की धुनों में हम अपनी लोकसंस्कृति, लोक सहित्य तथा लोकसंगीत को अपने हृदय के अन्तःकरण से महसूस करते हैं। इन लोक परंपराओं को सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्योंकि ये केवल विशेष पर्व या महीने पर गाए जाने वाले मात्र गीत ही नहीं, बल्कि एक समुदाय की परंपरा

लोक कलाओं को ढो रहे परंपरागत तथा पुश्तैनी कलाकारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। विभिन्न कलाओं को आगे बढ़ाने में समाज के सभी धर्मों, वर्गों, जातियों का योगदान रहता है। इन्हें आर्थिक संरक्षण दिए जाने की नितांत आवश्यकता है। प्रदेश में विभिन्न कलाकारों एवं कलाओं के संरक्षण, संवर्धन तथा सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य से

17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा दिल्ली में बनाया गया लाल किला हमेशा ही सत्ता और शक्ति का प्रतीक रहा है। यह किला देश की आन-बान और शान को प्रकट करता है। यह ऐतिहासिक स्मारक विश्व धरोहर की सूची में शामिल है और भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। 26 जनवरी