प्रो. सुरेश शर्मा ,लेखक घुमारवीं से हैं

शिक्षण संस्थान एक बार पुनः खोलने की अधिसूचना से नई उमंग, आशाओं तथा नई उम्मीदों का संचार हुआ है। सभी विद्यार्थी, अभिभावक, अध्यापक शिक्षण संस्थान खोलने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ ही दिनों में प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में चहल-पहल होगी… हिमाचल प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में एक बार फिर

समाज में प्रतिभाशाली, शिक्षित तथा व्यवहार कुशल लोगों को समाज सेवा के माध्यम से राजनीति के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। यह दीन-दुखियों, पीडि़तों, वंचितों तथा शोषितों  के आंसू पोंछने  का एक माध्यम है। संपूर्ण हिमाचल प्रदेश में 17, 19 तथा 21 जनवरी 2021 को पंचायती चुनाव रूपी एक पंचवर्षीय महायज्ञ हो रहा है। इसमें

कोरोना ने कई मानसिक अवसादों, शारीरिक रोगों, चिंताओं तथा आशंकाओं को दावत दी है। इस प्राकृतिक आपदा ने दुनिया के प्रकृति प्रेमियों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों तथा शिक्षाविदों तथा राजनीतिज्ञों को दहला कर आत्मचिंतन के लिए विवश कर दिया है। कोरोना वायरस संक्रमण की घटना विश्व के मानवीय इतिहास की सबसे दुखद एवं पीड़ादायक घटना है।

हिमाचल प्रदेश में सर्दी का मौसम अपने यौवन पर है। संभावित है कि इस मौसम में जुकाम, बुखार, गले में खराश, शरीर में जकड़न से संबंधित रोग आने वाले समय में पांव पसारेंगे। कुछ समय से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में बहुत बड़ा विस्फोट हुआ है। हमें मानसिक रूप से इस बारे में और अधिक

प्रो. सुरेश शर्मा लेखक नगरोटा बगवां से हैं पहाड़ी बोली में बोलना असभ्य होना ही माना जाता है। युवा माता-पिता अपने घर पर पहाड़ी बोलने पर पूरा परहेज करते हैं तथा बच्चों पर भी प्रतिबंध लगा देते हैं। पहाड़ी मां तथा हिंदी मां की तबीयत ठीक नहीं है। अब ‘पहाड़ी बोली बचाओ सप्ताह’ मनाए जा

कर्मचारी किसी भी सरकार व संगठन के लिए एक संपत्ति होता है। वह किसी भी दृष्टिकोण से व्यवस्था पर बोझ नहीं होता। सेवाकाल में वह अपने संगठन के लिए मेहनत, परिश्रम, समर्पण, निष्ठा, कर्मठता, कटिबद्धता तथा खून-पसीना बहाकर काम करता है। जिस तरह वह पूरी जवानी सरकार और संगठन के लिए लगाकर त्याग करता है,

प्रो. सुरेश शर्मा लेखक नगरोटा बगवां से हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने देविका को देवभूमि हिमाचल की ओर से उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए संदेश भेजा है : ‘केरल की बेटी देविका ने अपनी सुरीली आवाज में प्रसिद्ध हिमाचली गीत ‘चंबा कितनी की दूर’ गाकर हिमाचल की शान बढ़ाई है,

प्रो. सुरेश शर्मा लेखक नगरोटा बगवां से हैं इस मामले में तो जान के खतरे के डर से कंगना को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा वाई श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है जिसमें दो कमांडो सहित ग्यारह सीआरपीएफ  के जवान चौबीसों घंटे उन्हें  सुरक्षा देंगे क्योंकि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां

प्रो. सुरेश शर्मा लेखक नगरोटा बगवां से हैं बहुत से अध्यापक पुरस्कार की चाहत रखते हैं, योग्यता भी रखते हैं, परंतु आवेदन प्रक्रिया की जटिलताओं से परेशान होकर दूर से ही पुरस्कार को नमस्कार कर देते हैं। सेना या पुलिस में सम्मान, पदक या अलंकरण के लिए आवेदन नहीं करना पड़ता। इसी प्रकार शिक्षक पुरस्कारों