पीके खुराना

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अमरीका के दबाव में हमने ईरान के तेल मंत्री तक को टरका दिया। छप्पन इंच की छाती के बावजूद अब हम तेल महंगा भी ले रहे हैं और उसका भुगतान भी विदेशी मुद्रा में हो रहा है। यह ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है कि देश के सिर पर मंडरा रहे

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अगर सिस्टम ठीक हो, तो समाज के नब्बे प्रतिशत लोगों के ईमानदार बने रहने की संभावना होती है और यदि सिस्टम खराब हो, तो समाज के नब्बे प्रतिशत लोग भ्रष्ट और बेईमान हो जाते हैं। चुनाव आयोग तो बस एक उदाहरण है। देश की सभी संस्थाओं, यहां तक कि संवैधानिक संस्थाओं

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार भावार्थ यह कि सत्तासीन दल के ऐसे सांसद जो मंत्रिपरिषद में नहीं हैं, संसद में कुछ नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री यदि मजबूत हो, तो वह संसद और अपने दल ही नहीं, अपनी मंत्रिपरिषद की भी परवाह नहीं करता। प्रधानमंत्री और उसके दो-तीन विश्वस्त साथी ही निर्णय लेते हैं कि संसद में

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार संयुक्त राष्ट्र संघ का अस्तित्व अमरीकी सहायता पर निर्भर करता है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियां अमरीकी हितों से प्रभावित होती हैं। ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका ने एकजुट होकर चीन पर दबाव बनाया, तो चीन सीधे रास्ते पर आया और उसे मोहम्मद मसूद अजहर को लेकर झुकना पड़ा। पिछले कई

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार क्या हम यह नहीं जानते कि वही बात छिपाई जाती है, जो अनुचित, अनैतिक और गैरकानूनी हो? इससे भी बड़ी बात यह है कि वर्तमान सरकार ने 2016 और 2017 का वित्त विधेयक पेश करते हुए चुपचाप वित्तीय कानून में संशोधन कर दिया तथा राजनीतिक दलों को मिलने वाले विदेशी चंदे

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार स्पष्ट है कि मोदी ग्रैंडमास्टर हैं। अपनी नायाब चाल से उन्होंने चुनाव का नेरेटिव ही बदल दिया है। मुद्दे पीछे छूट गए हैं और प्रज्ञा के अंटशंट बयान सबकी चर्चा का केंद्र बन गए हैं। इस बीच हम सब भूल गए हैं कि प्रज्ञा सिर्फ एक सीट से चुनाव लड़ रही

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार   संविधान देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाए जाते हैं। अतः संविधान आस्था का नहीं, सुचारू प्रशासन का विषय है और संविधान की उन धाराओं पर खुली बहस होनी चाहिए, जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कमजोर करती हों और उन्हें बदलकर जनहितकारी संविधान बनाया जाना चाहिए। आवश्यक होने पर

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार असल जीवन में डॉन जैसे अपराधी या तो पुलिस के हाथों मारे जाते हैं या फिर उनके प्रतिद्वंद्वी उनकी हत्या कर देते हैं और बहुत बार तो खुद उनके साथियों में से ही कोई उनकी जीवन लीला समाप्त कर देता है। अपराध फिल्मों में दर्शकों के लिए चाट-मसाला खूब होता है।

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार मुद्दों को लेकर चर्चा के मामले में मीडिया में कोई ज्यादा उत्साह नजर नहीं आता। उसके बजाय मीडिया की ओर से भी ऐसी कोशिशों की कमी नहीं है, जहां अनावश्यक और अप्रासंगिक बातों को मुद्दा बनाया जा रहा है। मीडिया तो जनता का प्रतिनिधि हुआ करता था, फिर आखिर मीडिया का