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कला से अध्यात्म तक किस्त-78 गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डा. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं ‘पूजा’ पर उनके विचार…

श्रीराम शर्मा नर और नारी दोनों ही भगवान की दायीं-बायीं आंख, दायीं- बायीं भुजा के समान हैं। उनका स्तर, मूल्य, उपयोग, कर्त्तव्य, अधिकार पूर्णतः समान है। फिर भी उनमें भावनात्मक दृष्टि से कुछ भौतिक विशेषताएं हैं। नर की प्रकृति में परिश्रम, उपार्जन, संघर्ष, कठोरता जैसे गुणों की विशेषता है, वह बुद्धि और कर्म प्रधान है।

मधुमेह यानी डायबिटीज से पीडि़त लोगों को दिल की बीमारियों से मौत का खतरा बढ़ जाता है। टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में लगभग 58 प्रतिशत मौतें हृदय संबंधी परेशानियों के कारण होती हैं। मधुमेह के साथ जुड़े ग्लूकोज के उच्च स्तर से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे रक्तचाप और जोड़ों में दर्द तथा

मेडिटेशन करने से मन को शांति मिलती है और शरीर और मस्तिष्क दोनों को लाभ मिलता है। अगर आप बचपन से ही बच्चों में मेडिटेशन की आदत डालें, तो बच्चे पढ़ाई, खेलकूद हर क्षेत्र में आगे रहेंगे। मेडिटेशन से बच्चों की याददाश्त और एकाग्रता दोनों तेज होती है। आमतौर पर लोग समझते हैं कि ध्यान

महाभारत के पात्र अन्य चित्रण में वह महाकाव्य महाभारत के युद्ध के दृश्यों का एक हिस्सा हैं। वहा उन्हें एक सारथी के रूप में दिखाया जाता है। खासकर जब वह पांडव राजकुमार अर्जुन को संबोधित कर रहे हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से हिंदू धर्म का एक ग्रंथ भगवद् गीता को सुनाते हैं। इन लोकप्रिय चित्रणों

इस प्रकार कहना पड़ेगा कि धारणा ही हमारे जीवन को बनाती है और हमारी धारणाओं को हमारे आसपास के लोग ही बनाते हैं, अगर हम बुद्ध पुरुषों की संगत में रहते हैं तो इनके पास एक स्वर पाएंगे कि परमात्मा हमारे अंग-संग है, ये अंशी है और हम इसके अंश हैं… बाबा हरदेव मानो सबको

जेन कहानियां जेन साधिक ईशुन साठ वर्ष की आयु पार कर चुकी थी। एक दिन उसने अपने आश्रमवासियों को खुले में लकडि़यों की चिता सजाने के लिए कहा। चिता सज जाने पर वह उसके बीचोंबीच जा बैठी और अपने हाथों से किनारों पर आग सुलगा दी। ईशुन ! एक आश्रमवासी ने जोर से पुकार कर

स्वामी रामस्वरूप चेतन ब्रह्म की शक्ति जब इस प्रकृति में प्रलयावस्था में कार्य करती है तब सृष्टि रचना प्रारंभ हो जाती है जिससे पहला तत्त्व  ‘महत’ बनता है। इसके बाद पांच महाभूत एवं समस्त संसार की रचना तथा  मनुष्यों के शरीर आदि बनते हैं। इस सृष्टि रचना का वर्णन गीता के अध्यायों में किया गया

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… नरेंद्र की मां जब उसे इस हालत में देखती तो उन्हें क्रोध आने की बजाय हंसी आ जाती और वह जोर-जोर से हंसने लगती थी। न जाने उस वक्त उनका गुस्सा कहां हवा हो जाता था। नरेंद्र की इन बचकानी हरकतों को देखकर कभी तो उनकी मां को गुस्सा आ