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डबिंग के क्षेत्र में किस तरह का भविष्य बनाया जा सकता है? — रमेश कुमार, मनाली एनिमेशन फिल्मों, अंग्रेजी फिल्मों और कार्टून आदि फिल्मों में वॉयस ओवर या डबिंग की जरूरत पड़ती है। डबिंग से मतलब है कार्टून चरित्रों को आवाज देना। इसी तरह अंग्रेजी या अन्य भाषाओं की फिल्मों का हिंदी रूपांतरण करते समय

मकर संक्रांति परिवर्तन की प्रतीक है। इस दिन से सूर्य की दिशा बदलती है और उनकी उत्तरायणी गति प्रारंभ होती है। वह धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि में सूर्य के इस संक्रमण को ही मकर संक्रांति कहा जाता है। सूर्य पंच महाभूतों को प्रभावित करते हैं। इस कारण उनकी

नारद ने सुचिंद्रम नामक स्थान पर भगवान शिव को ऐसा उलझाया कि विवाह का मुहूर्त निकल गया। ऐसी मान्यता है कि कुंवारी नामक यह कन्या मां दुर्गा का अवतार थीं और  इनका जन्म वाणासुर नाम के राक्षस का अंत  करने के लिए हुआ था… यह कहानी है एक ऐसी देवी की है, जिसको भगवान शिव

हमारी संस्कृतियों से जुड़ा है मंदार जो भागलपुर जिले के मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यह सड़क मार्ग भागलपुर दुमका एवं रेलमार्ग भागलपुर मंदार हिल दोनों से जुड़ा है। पुराणों के अनुसार देव एवं दानवों ने इससे क्षीर सागर मथा था ,जिसमें वासुकि नाग का उपयोग रस्से के रूप में किया

ऋषि-मुनियों की तपोस्थली देवी- देवताओं के लिए प्रसिद्ध देवभूमि हिमाचल की ओर स्वतः ही लोग यहां आकर्षित होते रहे हैं। हिमाचल के कोने- कोने में मंदिरों की स्थापना हुई है, जिनमें से आज कई विश्व  विख्यात हैं, जिनमें नयनादेवी, ज्वालाजी, चिंतपूर्णी आदि अनेकों मंदिर शामिल हैं। शिवालिक की पहाडि़यों तले बसे नालागढ़ में मां तारा

दुनिया में भगवान राम सिर्फ  एक जगह अकेले हैं यानी उनकी मूर्ति के साथ न तो उनकी पत्नी सीता है और न उनके छोटे भाई लक्ष्मण। माउंटआबू में रघुनाथ जी का यह मंदिर दुनिया का इकलौता मंदिर है, जहां भगवान राम अकेले हैं। भगवान राम की ये मूर्ति स्वयंभू  है।  इस मूर्ति के बारे में

तल्लक्षणानि वाच्यन्ते नानामतभेदात्।। अब नाना मतों के अनुसार उस भक्ति के लक्षण कहते हैं। पूजादिष्वनुराग इति पाराशर्यः।। पराशरनंदन श्रीव्यासजी के मतानुसार भगवान की पूजा आदि में अनुराग होना भक्ति है। कथादिष्विति गर्गः। श्रीगर्गाचार्य के मत से भगवान की कथा आदि में अनुराग होना ही भक्ति है। आत्मरत्यविरोधेनेति शाण्डिल्यः।। शांडिल्य ऋषि के मत में आत्मरति के

प्रकृति ने प्रजनन-क्रिया की सिद्धि के निमित्त जिस उद्दाम वासना को मानव हृदय में प्रतिष्ठित किया है, उसकी उच्छृंखलता यौवन में आकर इतनी तीव्र हो उठती है कि सामाजिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से उसका संयम आवश्यक है।भारतीय धर्म ने उस उद्दाम प्रवृत्ति को स्वीकार किया है तथा विश्व की संस्थिति और संपूर्णता के लिए मनुष्य

ध्यानावस्थित होकर भौतिक जीवन-प्रवाह पर चित्त जमाओ। अनुभव करो कि समस्त ब्रह्मांडों में एक ही चेतना शक्ति लहलहा रही है, उसी के विकार भेद से पंचतत्त्व निर्मित हुए हैं। इंद्रियों द्वारा जो विभिन्न प्रकार के सुख  दुख अनुभव होते हैं, वह तत्त्वों की विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाएं हैं, जो इंद्रियों के तारों से टकराकर विभिन्न परिस्थितियों