आस्था

* समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करती * मनुष्य अपने जन्म नहीं, बल्कि कर्म से महान बनता है * पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को, उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते * जो गिरने से डरते हैं, वो कभी उड़ान नहीं भर सकते *

श्रीराम शर्मा फकीर नूरी की इन बातों ने जता दिया कि प्रार्थना का कोई ढांचा नहीं होता। वह तो हृदय का सहज अंकुरण है। जैसे पर्वत से झरने बहते हैं, वैसे ही प्रेमपूर्ण व्यक्ति के प्रत्येक कर्म में प्रार्थना की धुन गूंजती है। प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है… प्रार्थना का संगीत प्रेम की सरगम

ओशो यह असंभव है। अहंकार का त्याग नहीं किया जा सकता क्योंकि अहंकार का कोई आस्तित्व नहीं है। अहंकार केवल एक विचार है, उसमें कोई सार नहीं है। यह कुछ नहीं है, यह सिर्फ  शुद्ध कुछ भी नहीं है। तुम इस पर भरोसा करके इसे वास्तविकता दे देते हो। तुम भरोसा छोड़ सकते हो और

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव मेरा प्रश्न आकाश तत्त्व से संबंधित है। अगर हम मैदान जैसे खुले स्थान में बैठें, क्षितिज के बिंदुओं को देखते रहें या समुद्र पर एकटक नजर रखें या बस आकाश की तरफ  देखते रहें या फिर ऐसे ही खुले स्थानों में समय बिताएं तो क्या हम आकाश के प्रति ज्यादा जागरूक हो

स्वामी रामस्वरूप योग शब्द का अर्थ अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति है और क्षेम का अर्थ रक्षा है। श्रीकृष्ण महाराज यह ज्ञान दे रहे हैं कि हे अर्जुन जो साधक अनन्य भाव अर्थात वेद विद्या के दाता,निराकार ब्रह्म को त्यागकर किसी अन्य का चिंतन एवं उपासना नहीं करते तब स्वयं परमेश्वर ही उनका योग क्षेम कर

बाबा हरदेव अपेक्षा जहां है वहीं दुःख की भी संभवना है और जहां अपेक्षा नहीं है, वहां विषाद का कोई खतरा नहीं है। अतः जिनसे मनुष्य को अपेक्षा है कि उसे प्रीति मिलेगी पत्थर नहीं,उनसे यदि फूल भी फेंका गया, तो घाव का एहसास होगा ही। घाव फूल के कारण नहीं लगता फूल बेचारा कैसे

1 दिसंबर रविवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, पंचमी, विवाह पंचमी 2 दिसंबर सोमवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, षष्ठी, पंचक प्रारंभ, स्कंद षष्ठी 3 दिसंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, सप्तमी 4 दिसंबर बुधवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, अष्टमी 5 दिसंबर बृहस्पतिवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, नवमी 6 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, दशमी 7 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, एकादशी, पंचक समाप्त

सिर दर्द से घबराना नहीं चाहिए, पर विशेषज्ञों के अनुसार अगर यह दर्द बार-बार परेशान करने लगे तो किसी अच्छे डाक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी होता है। आमतौर पर सिरदर्द को माइग्रेन, टेंशन और क्लस्टर तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। खास यह है कि जितने अधिक लोग इससे पीडि़त हैं, उतने ही अधिक

शास्त्रों के अनुसार मनुष्य जीवन के लिए कुछ आवश्यक नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हमारे लिए आवश्यक माना गया है। हिंदू धर्म के अनुसार जीवन में हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से सोलह संस्कारों का पालन करना चाहिए। यह संस्कार व्यक्ति के जन्म से आरंभ होते हैं और मृत्यु तक अलग-अलग समय पर