आस्था

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव मेरा प्रश्न आकाश तत्त्व से संबंधित है। अगर हम मैदान जैसे खुले स्थान में बैठें, क्षितिज के बिंदुओं को देखते रहें या समुद्र पर एकटक नजर रखें या बस आकाश की तरफ  देखते रहें या फिर ऐसे ही खुले स्थानों में समय बिताएं तो क्या हम आकाश के प्रति ज्यादा जागरूक हो

स्वामी रामस्वरूप योग शब्द का अर्थ अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति है और क्षेम का अर्थ रक्षा है। श्रीकृष्ण महाराज यह ज्ञान दे रहे हैं कि हे अर्जुन जो साधक अनन्य भाव अर्थात वेद विद्या के दाता,निराकार ब्रह्म को त्यागकर किसी अन्य का चिंतन एवं उपासना नहीं करते तब स्वयं परमेश्वर ही उनका योग क्षेम कर

बाबा हरदेव अपेक्षा जहां है वहीं दुःख की भी संभवना है और जहां अपेक्षा नहीं है, वहां विषाद का कोई खतरा नहीं है। अतः जिनसे मनुष्य को अपेक्षा है कि उसे प्रीति मिलेगी पत्थर नहीं,उनसे यदि फूल भी फेंका गया, तो घाव का एहसास होगा ही। घाव फूल के कारण नहीं लगता फूल बेचारा कैसे

1 दिसंबर रविवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, पंचमी, विवाह पंचमी 2 दिसंबर सोमवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, षष्ठी, पंचक प्रारंभ, स्कंद षष्ठी 3 दिसंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, सप्तमी 4 दिसंबर बुधवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, अष्टमी 5 दिसंबर बृहस्पतिवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, नवमी 6 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, दशमी 7 दिसंबर शनिवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, एकादशी, पंचक समाप्त

सिर दर्द से घबराना नहीं चाहिए, पर विशेषज्ञों के अनुसार अगर यह दर्द बार-बार परेशान करने लगे तो किसी अच्छे डाक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी होता है। आमतौर पर सिरदर्द को माइग्रेन, टेंशन और क्लस्टर तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। खास यह है कि जितने अधिक लोग इससे पीडि़त हैं, उतने ही अधिक

शास्त्रों के अनुसार मनुष्य जीवन के लिए कुछ आवश्यक नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हमारे लिए आवश्यक माना गया है। हिंदू धर्म के अनुसार जीवन में हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से सोलह संस्कारों का पालन करना चाहिए। यह संस्कार व्यक्ति के जन्म से आरंभ होते हैं और मृत्यु तक अलग-अलग समय पर

 -गतांक से आगे… स्वयम्भुवा शिवा धात्री पावनी लोक-पावनी। कीर्तिर्यशस्विनी मेधा विमेधा शुक्र-सुंदरी।। 141।। अश्विनी कृत्तिका पुष्या तैजस्का चंद्र-मण्डला। सूक्ष्माऽसूक्ष्मा वलाका च वरदा भय-नाशिनी।। 142।। वरदाऽभयदा चैव मुक्ति-बंध-विनाशिनी। कामुका कामदा कांता कामाख्या कुल-सुंदरी।। 143।। दुःखदा सुखदा मोक्षा मोक्षदार्थ-प्रकाशिनी। दुष्टादुष्ट-मतिश्चैव सर्व-कार्य-विनाशिनी।। 144।। शुक्राधारा शुक्र-रूपा-शुक्र-सिंधु-निवासिनी। शुक्रालया शुक्र-भोग्या शुक्र-पूजा-सदा-रतिः।। 145।। शुक्र-पूज्या-शुक्र-होम-संतुष्टा शुक्र-वत्सला। शुक्र-मूर्त्तिः शुक्र-देहा शुक्र-पूजक-पुत्रिणी।। 146।। शुक्रस्था शुक्रिणी शुक्रसंस्पृहा

भारत देश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जो आस्था का केंद बने हुए हैं, परंतु साथ ही यह आश्चर्य का विषय भी बने हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर है हरिहर नाथ, जो बिहार की राजधानी पटना से 5 किमी. उत्तर सारण में गंगा और गंडक के संगम पर सोनपुर नामक कस्बे में स्थित

सबरीमाला मंदिर करीब 800 साल पुराना माना जाता है और इसमें महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद चला आ रहा है। इसे लेकर ये मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी माने जाते हैं। जिसकी वजह से इस मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं का आना वर्जित है। भगवान अयप्पा के दर्शन के