आस्था

विश्वव्यापी, प्रेमस्वरूपा, दिव्य आत्मास्वरूप, आनंदस्वरूप, हजारों-करोड़ों के दिलों में आज भी राज करने वाला व लाखों जीवन में सुधार लाने वाला यह सुंदर मानवीय रूप आज व्यक्तिगत रूप में हमारे बीच नहीं है। उन शब्दों का जादू, जो हमारी आंखों के हजारों आंसुओं को पोंछता चला गया व हजारों दिलों के दर्द अपने में समेटता

गुजरात की धरती पर मंदिरों और धामों का खासा महत्त्व है। राजस्थान में पोखरण, मादेरा और नाडोल में आशापुरा माता के मंदिर हैं। आइए जानते हैं आशापुरा मंदिर का इतिहास और इसकी महत्ता। आशापुरा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है यहां की देवी। आशापुरा मां को कच्छ की कुलदेवी माना जाता है और बड़ी तादाद

वैष्णव धर्म के वल्लभ संप्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों में नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन करने का फल भी सर्वोपरि है। नाथद्वारा धाम का यह स्थान राजस्थान के उदयपुर, सुरम्य झीलों की नगरी से लगभग 48 किलोमीटर दूर राजसमंद जिले में बनास नदी के तट पर स्थित हैं। यहां पर

नवंबर रविवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, पंचमी 18 नवंबर सोमवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, षष्ठी 19 नवंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, सप्तमी, कालभैरवाष्टमी 20 नवंबर बुधवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, अष्टमी 21 नवंबर बृहस्पतिवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, नवमी 22 नवंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, दशमी, उत्पन्ना एकादशी व्रत (स्मार्त) 23 नवंबर शनिवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, द्वादशी, उत्पन्ना एकादशी व्रत (वैष्णव)

कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें सुबह उठते ही चाय या कॉफी चाहिए होती है। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कब्ज, पेट दर्द, गैस, मुंहासे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है…कहा जाता है कि हेल्दी रहने के लिए हमें पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पीना चाहिए। आपके शरीर में पानी की सही मात्रा आपको

आफिस में काम का दबाव इतना ज्यादा होता है कि लगातार बैठे रहने के कारण हमारा शरीर कई रोगों की चपेट में कब आ जाता है पता ही नहीं चलता। कामकाजी महिलाओं को अपने लिए बिलकुल भी समय नहीं मिलता, जिस कारण उनके शरीर में मोटापा बढ़ जाता है…आजकल के समय में हर कोई इतना

ओशो भागदौड़ भरी जिंदगी ने भौतिक सुख-सुविधाएं तो खूब दी हैं, लेकिन हमारे भीतर धीरे-धीरे तनाव भी उसी अनुपात में बढ़ता गया है। हमारी सहजता गुम हो रही है और हम अनावश्यक रूप से गंभीर हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है। लोग इससे उबरना चाहते हैं जिसके लिए पूरे विश्व में तरह-तरह के

श्रीराम शर्मा भारतीय संस्कृति सबके लिए सभी भांति विकास का अवसर देती है। यह अति उदार संस्कृति है। विश्व में अन्य कोई धर्म संस्कृति में ऐसा प्रावधान नहीं है। उनमें एक ही इष्टदेव और एक ही तरह के नियम को मानने की परंपरा है। इसका उल्लंघन कोई नहीं कर सकता। अगर करता है तो दंडनीय

-गतांक से आगे… स्वयम्भू-पुष्प-निलया स्वयम्भू-पुष्प-वासिनी। स्वयम्भू-कुसुम-स्निग्धा स्वयम्भू-कुसुमात्मिका।। 131।। स्वयम्भू-पुष्प-कारिणी स्वयम्भू-पुष्प-पाणिका। स्वयम्भू-कुसुम-ध्याना स्वयम्भू-कुसुम-प्रभा।। 132।। स्वयम्भू-कुसुम-ज्ञाना स्वयम्भू-पुष्प-भोगिनी। स्वयम्भू-कुसुमोल्लास स्वयम्भू-पुष्प-वर्षिणी।। 133।। स्वयम्भू-कुसुमोत्साहा स्वयम्भू-पुष्प-रूपिणी। स्वयम्भू-कुसुमोन्मादा स्वयम्भू पुष्प-सुंदरी।। 134।। स्वयम्भू-कुसुमाराध्या स्वयम्भू-कुसुमोद्भवा। स्वयम्भू-कुसुम-व्यग्रा स्वयम्भू-पुष्प-पूर्णिता।। 135।। स्वयम्भू-पूजक-प्रज्ञा स्वयम्भू-होतृ-मातृका। स्वयम्भू-दातृ-रक्षित्री स्वयम्भू-रक्त-तारिका।। 136।। स्वयम्भू-पूजक-ग्रस्ता स्वयम्भू-पूजक-प्रिया। स्वयम्भू-वंदकाधारा स्वयम्भू-निंदकांतका।। 137।। स्वयम्भू-प्रद-सर्वस्वा स्वयम्भू-प्रद-पुत्रिणी। स्वम्भू-प्रद-सस्मेरा स्वयम्भू-प्रद-शरीरिणी।। 138।। सर्व-कालोद्भव-प्रीता सर्व-कालोद्भवात्मिका। सर्व-कालोद्भवोद्भावा सर्व-कालोद्भवोद्भवा।। 139।। कुण्ड-पुष्प-सदा-प्रीतिर्गोल-पुष्प-सदा-रतिः। कुण्ड-गोलोद्भव-प्राणा कुण्ड-गोलोद्भवात्मिका।। 140।।   -क्रमशः