आस्था

मनुष्य शरीर परमात्मा की अनुपम और अद्वितीय-अद्भुत कलाकृति है। इस कलाकृति की संरचना का अध्ययन किया जाए तो सहज ही यह विदित हो जाएगा कि मनुष्य शरीर कितना जटिल, सुव्यवस्थित और सुनियोजित कार्यप्रणाली पर निर्भर है? इतनी जटिल संरचना और उससे अधिक कार्यप्रणाली बिना किसी बाहरी नियंत्रणकर्ता नियामक के अपने आप सुचारू रूप से संपन्न

अगर आपके बच्चे को भी रात को बिस्तर गीला करने की प्रॉब्लम है, तो पहले आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि यह प्रॉब्लम तनाव या किसी और स्वास्थ्य प्रॉब्लम का कारण तो नहीं  है। पहले उसे दूर करने का प्रयास करें। कईं तरीके हैं जिससे नौकटर्नल एनुरेसिस को कम किया जा सकता है या रोका

*  जोड़ों के दर्द और दांत दर्द से छुटकारा पाने के लिए लौंग के तेल का प्रयोग करें। *  जोड़ों और घुटनों के दर्द से आराम के लिए दस कलियां लहसुन की 100 ग्राम पानी या दूध में मिलाकर पीने से दर्द से आराम मिलता है। *  गठिया के उपचार में जामुन काफी उपयोगी है।

ऐसे उमादेवी सहित नीलकंठ महादेव का जो योगी अपने हृदय कमल में ध्यान करता है अथवा सूर्य मंडल अथवा अग्नि या चंद्रमंडल या कैलाश आदि पर्वत में ध्यान करता है, तो उसी सगुण ध्यान द्वारा उस योगी पुरुष का मन स्थिरता को प्राप्त हो जाता है। हे अश्वलायन इस प्रकार चित्त के स्थित हो जाने

हे मुने! राजा भरत उस मृगशवक का पालन-पोषण करने लगे, जिनसे वह उनके पोषण हुआ और नित्य प्रति वृद्धि को प्राप्त होने लगा। वह बालक कभी उनके आश्रम के निकटवर्ती प्रदेश में चरा करता और कभी दूर जंगल में चला जाता और फिर सिंहादि के डर से लौट आता… इति राजाह भरतो हरेर्नामानि केवलम। नान्यञ्जगाद

आज की लाइफस्टाइल में तमाम तरह के बदलाव और तनाव के चलते इंसान खुद पर ध्यान नहीं देता, जोकि सही नहीं है। खुद के लिए तो थोड़ा सा वक्त निकाला ही जा सकता है। सेल्फ  केयर बहुत जरूरी है, क्योंकि ये दिमाग और सेहत दोनों को खुश रखने में मदद करती है। आजकल की भागदौड़

स्वामी रामस्वरूप  हे अर्जुन ! जो साधक केवल एक निराकार, स्वयंभू परमेश्वर की वेदों में कही यज्ञ, नाम, स्मरण, योगाभ्यास आदि उपासना ही करता है और नित्य वेद मंत्रों से ईश्वर के स्वरूप का चिंतन करता है और इस परमेश्वर से अन्य किसी और परमेश्वर आदि की भक्ति नहीं करता तो उसका ‘योगक्षेम’ रूप कर्त्तव्य

 हमारे ऋषि-मुनि, भागः 15 महाराज जनक को ब्रह्मनिष्ठ गुरु से शिक्षा पाने के लिए पहचान करनी थी। परीक्षा का नाटक रचा। दूर-दूर से प्रसिद्ध ऋषि बुलाए। बछड़े सहित हजारों गौएं खड़ी कर दीं और उनके सींगों को स्वर्ण से मढ़वा दिया। घोषणा हुई। कोई भी ब्रह्मनिष्ठ गौओं को ले जा सकता है। संकोचवश सब बैठे

कालभैरवाष्टमी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। भगवान शिव के अवतार कहे जाने वाले कालभैरव का अवतार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इस संबंध में शिवपुराण की शतरुद्र संहिता में बताया गया है। शिवजी ने कालभैरव के रूप में अवतार लिया और यह स्वरूप भी