दखल

परीक्षा परिणामों की मैरिट आए और उसमें एजुकेशन हब घुमारवीं के छात्रों का नाम न हो, यह मुमकिन ही नहीं। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे इस शहर के स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। होनहारों

चाय नगरी के नाम से मशहूर पालमपुर शिक्षा के क्षेत्र में रोज नई बुलंदियां छू रहा है। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे पालमपुर ने एक ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। हिमाचली ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के

चंद दिन में शांत हिमाचल को छह सौ करोड़ के जख्म देने वाली बरसात को जानलेवा बनाने के सबसे बड़े दोषी वे नाले हैं, जो साल भर पानी को तरसते हैं, लेकिन सावन आते ही ये गिरगिट की तरह रंग बदलने लगते हैं। भुंतर का कांगड़ी नाला हो या फिर शिमला का शालवी दरिया, चंबा

हमीरपुर…यानी शिक्षा का हब क्षेत्रफल के लिहाज से हिमाचल के सबसे छोटे इस जिला ने शिक्षा के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया है। कुल 1103 स्कूलों में सवा लाख छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे हमीरपुर ने एक ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से होकर प्रदेश

हिमाचल की सेहत संवारने वाले नए-नवेले चार मेडिकल कालेज खुद ग्लूकोज़ को तरस रहे हैं। आलम यह है कि तीन कालेजों को अभी तक छत मयस्सर नहीं। ऐसे में इन्फ्रास्ट्रक्चर का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। न तो यहां पढ़ाने वाले डाक्टर हैं और न ही प्रयोगशालाएं। फिर इन

हिमाचल प्रदेश के डिग्री कालेजों में रूसा के तहत नया सत्र शुरू हो गया है।  इस साल राज्य के कालेजों में दाखिले में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष जहां 60 हजार छात्रों ने दाखिला लिया था, वहीं इस बार 70 से 75 हजार छात्रों ने एडमिशन ली है। हिमाचल में कालेजों के

हिमाचल में खनन माफिया दिन-रात खड्डों का सीना छलनी कर चांदी कूट रहा है। नतीजतन, जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, वहीं जलस्रोत भी सूख रहे हैं। अवैध खनन से भयानक हो रही तस्वीर पेश करता, इस बार का दखल… सूत्रधारः शकील कुरैशी सहयोगः जितेंद्र कंवर,  शालिनी रॉय भारद्वाज,  नीलकांत भारद्वाज, विपिन शर्मा, अनिल डोगरा, कुलवंत शर्मा, गगन

कंकरीट के जंगल में तबदील हो रहे प्रदेश के शहर अपनी ही तबाही की इबारत लिख रहे हेैं। सोलन-शिमला हों या कुल्लू-मनाली या फिर धर्मशाला-मकलोडगंज, हर जगह बहुमंजिला भवन देखे जा सकते हैं… पर ये भवन कितने सुरक्षित हैं, यह शायद किसी को पता नहीं । प्रदेश में अवैध निर्माण और नियमों की अनदेखी ने

हिमाचल प्रदेश के दक्षिण छोर में यमुना नदी के तट पर स्थित गुरु की सुंदर नगरी पांवटा साहिब की विश्वभर में अलग पहचान है, लेकिन आबादी के हिसाब से यहां विकास नहीं हो पाया। क्षमता से ज्यादा बोझ ढो रहे पांवटा साहिब की यही तस्वीर दखल के जरिए पेश कर रहे हैं… दिनेश पुंडीर हिमाचल