प्रतिबिम्ब

किस्त – 2 युवा वर्ग साहित्य से दूर होता जा रहा है। इसका पहला संभावित कारण है कि साहित्य व्यावहारिक नहीं रहा। दूसरा कारण है कि युवा करियर की स्पर्धा में हैं तथा उनका रुझान सोशल मीडिया व इंटरनेट की ओर है। इसके अलावा अध्ययन व अध्यापन में साहित्य का घटता दायरा भी इसके लिए

डा. हेमराज कौशिक मो. :- 9418010646 ब्रिटिश औपनिवेशक साम्राज्यवाद से मुक्ति के लिए लंबे संघर्ष के बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी के नेतृत्व में अनेक स्वतंत्रता सेनानियों, चिंतकों, राजनेताओं, क्रांतिकारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई और भारत को स्वाधीनता मिली। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में अनेक रचनाकारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका

किस्त – 1 युवा वर्ग साहित्य से दूर होता जा रहा है। इसका पहला संभावित कारण है कि साहित्य व्यावहारिक नहीं रहा। दूसरा कारण है कि युवा करियर की स्पर्धा में हैं तथा उनका रुझान सोशल मीडिया व इंटरनेट की ओर है। इसके अलावा अध्ययन व अध्यापन में साहित्य का घटता दायरा भी इसके लिए

किस्त – चार हिमाचल का नैसर्गिक सौंदर्य बरबस ही हरेक को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही यह सृजन, विशेषकर साहित्य रचना को अवलंबन उपलब्ध कराता रहा है। यही कारण है कि इस नैसर्गिक सौंदर्य की छांव में प्रचुर साहित्य का सृजन वर्षों से हो रहा है। लेखकों का बाहर से यहां आकर साहित्य

पुस्तक समीक्षा लघुकथा साहित्य की चिरपरिचित पत्रिका ‘दृष्टि’ अपने प्रत्येक अंक की विशेषता के लिए सहज ही जानी जाती है। अपनी इसी विशेषता को बरकरार रखते हुए पत्रिका ने अपने वर्तमान अंक को एक और नया आयाम दिया है। इस बार  पत्रिका ने ‘समग्र’ के लघुकथा पर 1978 में प्रकाशित ऐतिहासिक विशेषांक को पुनः प्रकाशित

अवसर विशेष राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम 12 अगस्त को राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाने जा रहे हैं। इस प्रसंग में पुस्तकालयों के स्वरूप और लाइब्रेरियन की भूमिका पर फिर से विचार करने की जरूरत है। यह जरूरत इसलिए है क्योंकि इंटरनेट के युग में पुस्तकालय के स्वरूप व लाइब्रेरियन

किस्त – तीन हिमाचल का नैसर्गिक सौंदर्य बरबस ही हरेक को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही यह सृजन, विशेषकर साहित्य रचना को अवलंबन उपलब्ध कराता रहा है। यही कारण है कि इस नैसर्गिक सौंदर्य की छांव में प्रचुर साहित्य का सृजन वर्षों से हो रहा है। लेखकों का बाहर से यहां आकर साहित्य

किस्त – दो हिमाचल का नैसर्गिक सौंदर्य बरबस ही हरेक को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही यह सृजन, विशेषकर साहित्य रचना को अवलंबन उपलब्ध कराता रहा है। यही कारण है कि इस नैसर्गिक सौंदर्य की छांव में प्रचुर साहित्य का सृजन वर्षों से हो रहा है। लेखकों का बाहर से यहां आकर साहित्य

पुस्तक समीक्षा किताब खोलते ही ‘अंग-संग’ शीर्षक से लिखी कविता पर नजर पड़ती है। इसमें विचारों-भावनाओं का एक समंदर हिलोरे मारता नजर आता है। इन अथाह आवेशों पर नियंत्रण ही वास्तव में किसी भी प्रस्तुति के लिए अवश्यंभावी है। कवयित्री ने शायद कोशिश भी की है। संपादन एक और महत्त्वपूर्ण पहलू है, उसी तरह जैसे