प्रतिबिम्ब

*          कुल पुस्तकें : *           शोध ग्रंथ : एक *          शोध पत्र : 60 *           साहित्य सेवा : चार दशक से *           कुल पुरस्कार : 7 *           संपादित पुस्तकें : 2 डा. हेमराज कौशिक का जन्म 09 दिसंबर 1949 को जिला सोलन के बातल गांव में हुआ। उनके पिता जयानंद कौशिक ने अपने जीवन

अपने लहजे की धीमी आंच पर जैसे गजल को पकाने के लिए रख दिया हो। यहां गजल की निरंतरता और वक्त से रूबरू होती व्यवस्था में अपने होने की उम्मीद में शायरी खुलती है, तो किताब बनकर डा. मधुभूषण शर्मा ‘मधुर’ दस्तक देते हैं। हमारे मानसिक धरातल के किसी न किसी आधार पर जो गजल

भारत भूषण ‘शून्य’ स्वतंत्र लेखक साक्षात आकार में निराकार को स्थापित करते हुए हम वहां पहुंच रहे हैं जहां हमारा आकार भी अब आभास होने लगा है। भ्रम की इस चदरिया में कबीर को लपेट डालने की कोशिश-सी। मानो उलटबांसियों को सीधा खड़े करने में सत्ता का लंबवत कोण अपनी प्रशंसनीय कार्यपद्धति पर इतराता हुआ।

संदर्भ : शिमला पुस्तक मेला इस वर्ष पहले धर्मशाला में पुस्तक मेला लगा, अब शिमला में बुक फेयर लगने जा रहा है। भविष्य में भी ऐसे पुस्तक मेले होते रहेंगे, परंतु एक सवाल अकसर खड़ा हो जाता है कि साहित्य को आखिर पाठक क्यों नहीं मिल रहे हैं? इसी प्रश्न को खंगालने का प्रयास हमने

चित्रा मुद्गल से सीधी बात हाल ही में अमेठी क्षेत्र के गांव बरौलिया के पूर्व प्रधान एवं भाजपा कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई और अमेठी की नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी द्वारा उनकी अर्थी को कंधा दिए जाने की घटना ने भारतीय समाज को चौंका दिया। आम तौर पर महिलाओं को

भारत भूषण ‘शून्य’, स्वतंत्र लेखक वक्त के आईने में बदलाव देखकर खुश होना स्वाभाविक है, लेकिन वक्त जब अपना आईना बदलने की जुगत बिठा लेता है तो हमें लगने लगता है पैरों तले की धरती खिसक गई। समाज के भीतरी टकराव को जब खुले आसमान तक बिखेर देने का खिलवाड़ होता है तो हम भयभीत होने

डा. विजय विशाल यह सही है कि आज कम्प्यूटर, इंटरनेट, टीवी चैनलों और स्मार्ट फोन वगैरह ने हमारी जिंदगी में किताबों की जगह कम कर दी है। निश्चित रूप से समाज में साहित्य के लिए स्पेस कम हुआ है। प्रिंटिंग की तकनीक में लगातार सुधार से लेखक बढ़ रहे हैं, मगर पाठक कम हो रहे

‘केशवामृत’ अब बाजार में है। यह वास्तव में श्री श्री श्री ठाकुर केशवचंद्र जी की जीवनी है जिसे संग्रहकर्ता व लेखक अनिल चावला ने लिखा है। अध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों को यह किताब पसंद आएगी, ऐसा विश्वास है। इस किताब के माध्यम से ठाकुर जी के शरीर पर दिव्यत्व के चिन्हों के उजागर

गंगाराम राजी पुस्तकें हमारे ज्ञान का भंडार समृद्ध करने, सच्चा मार्गदर्शन करने में सक्षम तथा भविष्य को आंकने वाली सच्ची मित्र होती हैं। जहां मनुष्य क्षणभंगुर है, वहीं पुस्तकों में मनुष्य के श्रेष्ठ विचार, ज्ञान, उपदेश, संस्कृति, सभ्यता तथा मानवीय मूल्य हमेशा जीवित रहते हैं। यह विचार स्थायी, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के द्वारा संचारित