प्रतिबिम्ब

हिमाचल प्रदेश में लेखकों की जमात में कई ऐसे घुमक्कड़ बंजारा-प्रवृत्ति के प्रबुद्ध बुद्धिजीवी हैं, जिन्होंने कई अनजान राहों पर यात्राएं की हैं, अजनबियों से संपर्क करके आत्मीयता स्थापित की है और फिर लेखकीय प्रवृत्ति से उन सारे संबंधों को सबके साथ साझा किया है। लेखकीय-बंजारापन के संबंधों को सार्थक रूप प्रदान करने वाले उस

 बचपन बच्चों पर चिल्लाना छोड़ो उन पर हाथ उठाना छोड़ो इनके भी तो दिल होते हैं बात-बात पर ताना छोड़ो ये तो सच के पुतले होते इनको झूठ सिखाना छोड़ो मीठे-मीठे गीत सुनाएं पक्का राग सुनाना छोड़ो अपने मन के ये भी राजा इनका ठौर-ठिकाना छोड़ो आप नहीं हो अब ठग सकते उल्लू इन्हें बनाना

वर्ष 2018 में प्रदेश भर में अनेक साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन किया गया। कहीं कवि गोष्ठी हुई, कहीं साहित्यकार सम्मानित हुए तो कहीं साहित्यकारों की स्मृति में कवि सम्मेलन हुए। इस तरह हिमाचल अनेक साहित्यिक गतिविधियों का साक्षी बना। 16 साहित्यकार सम्मानित किए : कला, भाषा, संस्कृति एवं समाज सेवा को समर्पित संस्था ‘नवल प्रयास’

भारत भूषण ‘शून्य’, स्वतंत्र लेखक आपकी वेदना ही आपको सबसे बड़ा दुख लगे और आपकी संवेदना का दायरा भी अपने में सिमट कर रह जाए तो तय है कि जिंदगी का कौआ सिर्फ कांव-कांव कर रहा है। मन की गहरी वादियों में किसी कोयल का कोई गीत बजने की सभी संभावनाओं को विराम लगा दिया गया

समय की रेत पर डा. गौतम शर्मा ‘व्यथित’ साहित्यकार समय की गति जीवन के हर क्षेत्र में कुछ नया, प्रगतिशील, उद्धरणीय व अनुकरणीय देखना चाहती है। इस चाहत या अपेक्षा को पूरा करता है व्यक्ति, विविध बहुआयामी भूमिकाओं के निर्वाह के साथ। साहित्य-सृजन में भी हर वर्ष कुछ नया प्रकाशित होना चाहिए, देश-प्रदेश के भीतर घटित

समय की रेत पर मुरारी  शर्मा साहित्यकार साहित्य अपने समय और समाज की अभिव्यक्ति है। हमारा यह समय अनिश्चितताओं का दौर है। इस बदलते दौर में समाज की चिंताएं, संघर्ष के तौर-तरीके, परंपराएं बदली हैं। वहीं टूटन, घुटन, छल-छद्म और कुटिलता के हथियार भी बदल गए हैं। ऐसे में साहित्य के तेवर भी बदले हुए

साहित्यकारों की दृष्टि में वर्ष 2018 किस प्रकार रहा तथा इस वर्ष में उनकी गतिविधियां क्या-क्या रहीं, इस विषय में हमने प्रदेश भर के कई साहित्यकारों से बातचीत की। कई साहित्यकारों ने कहानी का आनंद लिया तो कुछ ने कविता का रसास्वादन किया। साथ ही साहित्यकारों ने अगले वर्ष की अपनी योजनाएं भी साझा की।

इस वर्ष जहां प्रदेशभर में अनेक साहित्यिक आयोजन हुए, वहीं प्रख्यात कहानीकार एसआर हरनोट की परिकल्पना पर कालका-शिमला रेल में जो साहित्यिक संगोष्ठी हुई, उसने विश्व भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इस रेल मार्ग पर इसके सर्जक बाबा भलखू की याद में एक साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश भर के

परिदृश्य में :मुरारी  शर्मा साहित्यकार वर्ष 2018 में वैसे तो कई साहित्यिक कृतियां पढ़ने का मौका मिला लेकिन चित्रा मुद्गल के उपन्यास ‘पोस्ट बॉक्स नंबर 203 नालासोपारा’ के पात्र अभी तक मेरे जेहन में घूम रहे हैं। चित्रा मुद्गल को हाल ही में इसी उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है और उन्हें पढ़ने की