विचार

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं मणि शंकर अय्यर पाकिस्तान में जाकर टीवी चैनल पर कहते हैं कि  यदि पाकिस्तान भारत के साथ मधुर रिश्ते चाहता है तो उसे मोदी सरकार को भारत की सत्ता से हटाना पड़ेगा  कार्यक्रम को संचालित कर रहे एंकरों को भी समझ नहीं आया कि इसमें पाकिस्तान क्या

ढलियारा-देहरा का सफर फिर कातिल बनकर घूमता रहा और पंजाबी सवारियों को ढोती अलबेली बस इसका ग्रास बन गई। मौत के कारणों को समझते हुए खुद मौत भी परेशान होती होगी, क्योंकि सफर और रास्ता तो आस्था से भरपूर था। जाहिर तौर पर जो भी कारण बने, वे सभी हिमाचल के न होते हुए भी 

हरि मित्र भागी लेखक, सकोह, धर्मशाला से हैं किसान के चेहरे पर खुशी व लाली लानी होगी, तभी देश खुशहाल होगा। यह तो विडंबना है कि मृत किसान के परिवार को मध्य प्रदेश सरकार एक करोड़ रुपए व नौकरी दे रही है तो बेहतर है, जीते जी उसकी समस्या का समाधान किया जाए। पंजाब में

(अनुज सन्याल, जवाली, कांगडा़ ) समाज के प्रत्येक वर्ग को प्रभावित करने वाला यातायात जाम प्रदेश में आम बात हो गई है। प्रदेश के किसी भी छोटे या बड़े कस्बे के बाजार में जैसे ही कोई बस स्टाप पर रुकती है तो उसके पीछे गाडि़यों का लंबा काफिला खड़ा हो जाता है तथा इस जाम

चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें आमने-सामने…बेशक जंग के मैदान सरीखा एहसास होगा। वैसी ही उत्तेजना और तनाव…एक टीम चैंपियन बनेगी, तो दूसरी टीम उपविजेता रहेगी। ऐसा सुपरहिट फाइनल 10 सालों के बाद खेला जा रहा है। 2007 में टी-20 के विश्व कप फाइनल में भारत-पाक भिड़ंत हुई थी और

सड़क छाप खलनायक (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) मुंडा है खुद सड़क का, खलनायक हैवान। हाफिज का है सगा, या निशिचर, शैतान। कसैली जिह्वा विष भरी, मिलता इसे सुकून। नमक खा रहा पाक का, शायर यह नापाक। मां को किया निर्वस्त्र खुद, इज्जत कर दी खाक। हरते हैं गुंडे कई, भारत मां का चीर।

(किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) आज भारतीय किसान बेचैन है। खेत खलिहान छोड़ वह सड़कों पर है। दरअसल हमारा कृषक वर्ग उपेक्षित, शोषित और असहाय अनुभव करता है। उस पर कर्ज भार बहुत है और आज तक उसे कोरे आश्वासन मिले और निराशा ही हाथ लगी। जिसका भी दांव लगा, उसने ही किसान को 

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ताकतवर लोगों के साथ संबंध बनाना मीडिया के लिए आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही पेशेवर नैतिकता को बनाए रखना भी मीडया की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। दिल्ली में ऐसे चिन्हित स्थान है, जहां पर पत्रकारों द्वारा बड़े-बड़े सौदों को अंजाम दिया जाता

( डा. राजन मलहोत्रा, पालमपुर ) भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति जिस संबोधन का उपयोग किया है और जिसके कारण उन्हें मीडिया में काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, वह एक दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय वक्तव्य है। शायद अमित शाह यह भूल गए हैं कि अंगे्रजों के साथ लोहा