वैचारिक लेख

जरूरी नहीं है कि इस मुल्क में सिर्फ हुक्मरानों, बाहुबलियों व बदमाशों का ही डंका बजता है। या फिर सीबीआई और ईडी का डंका का बजता है। हम इनमें से किसी भी कैटेगरी में नहीं हैं, फिर भी ऊपर वाले की मेहरबानी से हर जगह हमारा डंका बजता है। लोग हमें आकर बताते हैं कि साहब आपका डंका बज रहा है। हम लोगों की बातों में आकर खुश हो जाते हैं कि चलो इस दुनिया में हमारी भी तो कोई प्रतिष्ठा है! हमारे पास कोई पेट्रोल पंप नहीं है। किसी उद्योग में

अपना रोष प्रकट करने के लिए उस वक्त युवाओं ने जहाज हाईजैक करने का रास्ता चुना था और अब युवा संसद के अंदर आकर धुआं फैला रहे हैं। इसमें सुरक्षा को खतरा कहां है? वैसे केवल रिकार्ड के लिए जहाज हाईजैक करने वाले ‘निराश युवाओं’ को कांग्रेस ने ईनाम भी दिया था। दोनों को कांग्रेस ने अपनी टिकट पर चुनाव लड़वाया। देवेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव का पद दिया गया। बलिया के रहने वाले भो

विद्यालय स्तर पर जहां विषय सिर्फ पाठ्यचर्चा को समय पर समाप्त करने तक सीमित रह गया है, वहीं बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान भी बच्चों को सवाल हल करने के तरीके तो बता रहे हैं, लेकिन समस्या को गहराई से समझने और उसे हल करने के नए तरीके खोजने के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं। गणित अन्य विषयों से अलग है और इसकी अलग प्रकृति ही इसे सीखने और सिखाने के अलग तरीकों की मांग करती है। एक जिम्मे

इस बार गणतंत्र न तो सर्दी से ठिठुर रहा था और न ही पार्क के एक कोने में उदास अनमना सा बैठा था, अपितु वह तना हुआ समारोह का आनंद उठा रहा था। मैं चुपचाप गणतंत्र की सारी हरकतें देख रहा था। मैं भी उसके पास बैंच पर जा बैठा और धीरे से बोला-‘क्या बात है गणतंत्र जी, बड़े खुश नजर आ रहे हो?’ गणतंत्र ने मुझे देखा नहीं, उलटे भरपूर मुस्कान के साथ बोला-‘लोकतंत्र की चिंता में दुबला होते हुए वर्ष बीत गए। कब तक रोऊं इस लोकतंत्र के नाटक को। नए युग के नए लोकतंत्र की भांति मैंने भी अपने आपको बदल लिया है। साम्प्रदायिकता, जात-पां

संतुलित डर और आत्मविश्वास का मेल आपकी सफलता को सुनिश्चित करता है, क्योंकि वह आपके इरादे को पक्का करता है और आरंभिक छोटी-बड़ी कठिनाइयों और असफलताओं से घबराए बिना आगे चलने की प्रेरणा देता है। यही हमारी सफलता का राज है। इसीलिए मैं दोहरा कर कहता हूं कि सफलता का सबसे बड़ा कारक है पक्का इरादा और विपरीत स्थितियों में भी अपना सपना सच करने की लगन। तो आइए, सपने देखें,

कुछ समय पहले इंडिया गठबंधन के पक्ष में बनते माहौल को पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए हुए चुनावों में भाजपा द्वारा हिंदी पट्टी के तीन प्रमुख राज्यों पर जीत दर्ज करने से इस गठबंधन को 2024 के लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत अपने मतभेदों को दरकिनार कर नए सिरे से

वह आदमकद आईने में अपना चेहरा देख कर मुस्करा देते हैं। जब-जब वह इस प्रकार आईने में झांकते हैं, उन्हें लगता है कि केवल वह ही नहीं, उनकी सारी रियाया उन्हीं के आईने में से झांकती हुई उनके साथ मुस्करा रही है। ठीक है, इसे वह इस लोकतांत्रिक युग में अपनी कोई छुपी साम्राज्यवादी प्रवृत्ति दिखा कर उन्हें मंच से कभी अपनी रियाया नहीं कहेंगे, बल्कि दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र की रियाया कहेंगे। कितना संतोष होता है कि इस बिगड़े समय में भी जब-जब कोई नेतागिरी का सर्वेक्षण होता है, उन्हें सबसे लोकतंत्र नेता करार दे दिया जाता है। आईने की कृपा से मापने के पैमाने थोड़े से और विस्तृत होते जा रहे हैं, इसलिए उन्हें लगता है, वह इस देश ही नहीं, पूरी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। अब इन पैमानों के नजर बचा लेने की ही बात है। ललमुंहे अंग्रेजों का देश, कि जिनके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था, आज वह कब

सिनेमा वालों को ज्यादा कमाना होता है, वो तो वही परोसते हैं जिस पर ज्यादा आम आदमी भरोसा करता है व जिसे बहादुरी की संज्ञा देता है। इसलिए बॉलीवुड हिंसा के नए सिनेमाई विचार लेकर आता है और उससे उसे ज्यादा कमाई होती है। लेकिन समाज में एक असुंतलन पैदा होता है जो कहीं न कहीं हिंसा की ही प्रवृत्ति है। हिंसा युक्त सिनेमा का हिट हो जाना यह दिखाता है कि हम मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गए हंै और कल्प

आज सुबह भी रोज की तरह अखबार वाले ने बालकनी में अखबार मरोड़ कर फेंका तो अचानक अखबार में डाले एक पंपलेट पर नजर गई। एक बार जो उसे देखा तो देखता ही रह गया। कल हमारी गली के मुसद्दी भाई हमारी गली में प्रेम मुहब्बत कॉर्नर की ओपनिंग करने वाले थे। अपनी गली में हर घर के बाहर जरदे, खैनी, गुटखे, पान पराग, बीड़ी-सिगरेट की दुकानें हैं। मतलब, हर घर एक दुकान। बस, अब इसी एक कॉर्नर की कमी थी। सो लगा, कल से अब अपनी गली में प्रेम मुहब्बत के दिन भी फिरे। सारी रात प्रेम मुहब्बत के कॉर्नर का पंपलेट सीने पर रख सोने की बहुत कोशिश करता रहा, पर नींद न आई। सारी रात सोचता रहा, अहा! कल तो मैं भी प्रेम मुहब्बत वाला हो जाऊंगा। जिस भी रेट में मिलेगा,