वैचारिक लेख

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार दिल्ली में हाल की घटनाओं ने, जहां मुस्लिमों ने पहले शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ  विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया और बाद में निजामुद्दीन मस्जिद में इकट्ठा होकर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया, हिंदू-मुस्लिम एकता में सबसे बड़ी दरार पैदा की, एक ऐसी दरार

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं ये तो अपने मुल्क के प्रति बेपनाह मोहब्बत के जज्बात रखने वाले हमारे सैनिकों का जज्बा, समर्पण तथा कडे़ सैन्य प्रशिक्षण का नतीजा है कि 22 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फ  का रेगिस्तान कहे जाने वाले दुनिया के सबसे ऊंचे व ठंडे रणक्षेत्र में जहां रात का

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक हर वर्ष साहित्य अकादमी के पुरस्कार घोषित होने के बाद पुरस्कार पाने में विफल साहित्यकारों में कुछेक महीनों के लिए अथवा स्थायी रूप से रुष्टता का भाव पनप जाता है और वे अकादमी की रीति-नीति तथा गतिविधियों में नुकताचीनी करके अपनी भड़ास निकालते देखे जा सकते हैं। कुछ ऐसे भी साहित्यकार

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार इस समय हम लोग घर में समय बिताने के लिए विवश हैं, लेकिन इस विवशता में कुछ छिपे हुए वरदान हैं जिन्हें पहचान लें तो हमारा भावी जीवन भी सुखद हो सकता है। बहुत से लोग चूंकि घर में ही हैं, न तो उन्हें कहीं आना-जाना है, न ही उनके पास

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान कितनी चिंता की बात है कि सदियों की गुलामी से निकलने के बावजूद उसके दुष्परिणामों और कारणों को भूल कर वही गलतियां दोहराने में ही अपनी बहादुरी बखानने लगते हैं। कुछ जाति के आधार पर जहर फैलाने के काम में लगे हैं जबकि जरूरत तो जातिवाद के दुर्गुणों को

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com देश में शोध की कमी है। सत्य की राहों के अन्वेषी कहां हैं? गाल बजाने वालों के इस समूह में कुछ पता नहीं चलता। हर शोध करने वाला अंधों का हाथी लिए घूम रहा है। सबके पास अपना-अपना सच है, और उससे पैदा होता हुआ एक नारा है। नारा लगाने के बाद

राजेंद्र राजन लेखक, हमीरपुर से हैं नकारात्मक ऊर्जा और अवसाद के माहौल में सरकार, प्रशासन, पुलिस सब अपना कर्त्तव्य निष्ठापूर्वक निभा रहे हैं। लेकिन जिन प्रतिनिधियों यानी विधायकों, सांसदों, जिला परिषद या पंचायत प्रतिनिधियों को जनता ने चुना है, उनकी उपस्थिति, संवेदना व भावनात्मक संबल कमोबेश गायब हैं। मैंने प्रदेशभर में अनेक मित्रों से बात

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com कोरोना के डर के बीच निडर हो हमें बचाने किसी भगवान के आने का इंतजार कर रहा था कि अचानक दरवाजे पर थाप हुई। दरवाजे पर होती थाप सुन बड़े दिनों बाद दरवाजा खोलने दरवाजे की ओर लपका भरा ही कि किसी ने मुझे मेरे भीतर से रोकते आदेश दिया, क्या कर

मातमी सन्नाटे की गोदी में पुनः हिमाचल के दो जांबाज सैनिकों ने बलिदान का इतिहास पुख्ता कर दिया। आतंक के खिलाफ राष्ट्रीय फलक पर जब पांच सैनिक केरन सेक्टर में शहीद होते हैं, तो हिमाचल अपने हिस्से की चालीस फीसदी शहादत का क्रम चुन लेता है। बिलासपुर व कुल्लू के सूबेदार संजीव और बाल कृष्ण