वैचारिक लेख

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं पंडित जॉन अली जब भी घर के अंदर बोरियत महसूस करते बालकनी में आकर खड़े हो जाते। उनकी देखा-देखी मैं भी बालकनी में पहुंच जाता। मुझे देखते ही पंडित जी ने आवाज़ दी,‘मियां! अब तो तू हे चाय के लिए भी नहीं कह सकता। क्या पता किस दिन कोरोना

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि लॉकडाउन से देश के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और गरीबों की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। देश के करीब 45 करोड़ के वर्क फोर्स में से 90 फीसदी लोग असंगठित क्षेत्र से हैं। असंगठित क्षेत्र के लोगों को काम और वेतन की पूरी

बीएस शैट्टी चेत लेखक, मंडी से हैं भारत ने 1990 के दशक से कई महामारियों के प्रकोप देखे हैं जैसे कि सार्स का प्रकोप, स्वाइन फ्लू का प्रकोप और कोरोना का प्रकोप, लेकिन इनमें कोई भी प्रकोप कोविड-19 जैसा व्यापक और घातक नहीं था। 1915-1926 के बीच इंसेफेलाइटिस लेटार्गिका नामक महामारी दुनिया भर के देशों

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक कोरोना से फिर मुलाकात कर बैठा। इस बार वह कर्फ्यू के दौरान वीआईपी कार में बैठकर आया था। पूछने पर बताया कि उसकी नसों में वीआईपी गंध है, इसलिए मजे से और मौज मस्ती से इटली, फ्रांस, जर्मनी और अमरीका होते हुए भारत पहुंच गया हूं। वह कनिका कपूर पर गर्व

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम थी। जो लोग विदेशों से संक्रमित होकर आए भी थे, उनकी पहचान भी हो रही थी और उनसे मिलने वालों का पीछा भी हो रहा था। इसलिए संक्रमित लोग या फिर संक्रमित

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में कई पंचायत प्रतिनिधि और संस्थाएं अपने स्तर पर कोरोना के संक्रमण को रोकने हेतु प्रयासरत हैं। धर्मशाला की 24 और प्रागपुर की 75 पंचायतों ने जिला कोरोना राहत कोष में प्रति पंचायत के हिसाब से पांच हजार रुपए का योगदान दिया है। पंचायत

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक आज भारत ही नहीं पूरा विश्व कोरोना जैसी भयंकर महामारी की चपेट में इस तरह से फंस चुका है कि इससे बाहर निकलने के लिए धैर्य और सरकार द्वारा दिए जा रहे दिशा-निर्देशों का पालन करना बहुत ही जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में गलत संदेश फैलाना या फिर सरकारी

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विकासशील देशों में दुनिया की दो-तिहाई आबादी अभूतपूर्व आर्थिक मंदी का सामना करेगी। संयुक्त राष्ट्र ने अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिए 2.5 ट्रिलियन डालर के पैकेज का आह्वान किया है। पहले से ही जी-20 देशों ने अपने से संबद्ध देशों के लिए 5 ट्रिलियन डालर

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक आज कोरोना महामारी के कारण लोग अपने-अपने घरों में बंद हो गए हैं और अगले कई सप्ताह तक इस तरह की स्थिति कायम रहने वाली है, ऐसे में किशोरों, युवाओं व वयस्कों के स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। घर में बैठे रहने के कारण शरीर पर विनाशकारी