वैचारिक लेख

सुरेश शर्मा लेखक, नगरोटा बगवां से हैं भारत में कोरोना के संक्रमण से बचाव व रोकथाम एक बड़ी चुनौती हो सकती है। सौभाग्य से हमारे देश में अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण के बहुत कम मामले सामने आए हैं। देश में अभी तक कोरोना संक्रमण से प्रभावित एक सौ तेइस मामलों की पुष्टि केंद्रीय स्वास्थ्य

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com मियां, अभी-अभी हमें इस देश में नई सदी लाने का दावा करने वाले एक जुमलेबाज मसीहा ने बताया है कि हमारा देश बड़ा विकसित हो गया है और हम अपने पड़ोसी देश चीन, जिसने आज तक हमारी नाक में दम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, से भी कहीं तेजी से हम

डा. मनोज डोगरा लेखक, हमीरपुर से हैं भारत में भी अब तक कोरोना के कई ताजा मामले सामने आ चुके हैं। दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 94,000 के पार चली गई है। ईरान में अब तक कोरोना से 92 और दक्षिण कोरिया में 32 लोगों की मौत हो चुकी है।

विकेश कुमार बडोला लेखक, उत्तराखंड से हैं भारत सरकार ने 2020-21 के बजट में क्वांटम टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए 8 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। भविष्य में दुनिया के ऊर्जा, तेल एवं गैस, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान, अंतरिक्ष, मौसम पूर्वानुमान और दूसरे अनेक क्षेत्रों से संबंधित अनुसंधान के लिए कम्प्यूटर से ज्यादा

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं व्यक्तिगत या सामूहिक स्वच्छता जीवन जीने का एक ढंग है। हम इसमें कितना सामंजस्य बिठा पाते हैं, यह बात दूसरी है। हिमाचल के संदर्भ में बात करें तो हम अपने आपको एक तरह से भाग्यशाली मान सकते हैं कि यहां अधिकांश स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व काफी कम है,

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com उन्होंने कांधे पर एक झोला टांग रखा था। खुद लाल, हरे, पीले, नीले। पता ही नहीं चल रहा था कि बंदे हैं तो किस रंग के? वैसे होली को तो छोडि़ए, होली के बाद भी आप जज नहीं कर पाएंगे कि इनका असली रंग है तो कौन सा है? वैसे हर पल

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान तेजी से गिर रहा है, मैन्युफेक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्र बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है कि विश्व में कृषि उत्पादों की मांग सीमित है। विश्व की जनसंख्या में मामूली वृद्धि हो रही है, तदनुसार खाद्य पदार्थों की खपत में भी मामूली ही वृद्धि हो

कंचन शर्मा लेखिका, शिमला से हैं यह जानना बहुत आवश्यक है कि यह वायरस कहीं भी मौजूद हो सकता है। जहां हाथ लगने पर यह हमसे चिपक सकता है और फिर हाथों के जरिए मुंह, आंखों के रास्ते शरीर में प्रवेश पा सकता है। इसलिए अत्यावश्यक है कि बार-बार अपने हाथों को धोया जाए और

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं दीवारों से दीवारें सटी होने के बावजूद मैं पिछले एक हफ्ते से कोरोना के डर से पंडित जॉन अली के घर नहीं जा पाया था। जब बिछोड़ा नहीं सहा गया तो मैं नाक पर रूमाल लपेटे ही उनके यहां पहुंच गया। मास्क जिन दामों में बाजार में बिक रहा