वैचारिक लेख

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक आखिर मुझे पता चल ही गया कि मैं भी लेखक हूं। कितने पापड़ बेल कर मैं भाषा विभाग की डाक तक पहुंचा, यह मेरा दिल जानता है और उस नेक अधिकारी का सीना जानता है, जिसने कई नाम काट कर सूची में मुझे खड़ा किया है। मैं खड़ा हुआ तो  जाहिर

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार कांग्रेस और भ्रष्टाचार लगभग पर्यायवाची ही बन गए हैं। सत्ता कांग्रेस की होगी तो जाहिर है वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ कांग्रेसी सत्ताधारी अपने- अपने रुतबे और योग्यता के हिसाब से घोटालों में लग ही जाएंगे, लेकिन उससे सोनिया कांग्रेस की बदनामी भी होगी, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते थे।

प्रो. वीना ठाकुर  veenakthakur@gmail.com लीजिए, एक और बेटी हैवानियत की भेंट चढ़ी, इनसानियत शर्मसार हुई, निर्भया फिर याद आई, मोमबत्तियां फिर जलीं, जुलूस निकले, बड़े-बड़े राजनीतिक वादे हुए। पूरे देश ने आग लग जाने के बाद एक बार फिर हाथों में गैंतियां-फावड़े ले कुएं खोदने को कमर कसी। लग रहा था ज्यों अबके वे आग

पुष्पदीप जस्वाल लेखक, शिमला से हैं सामूहिक बलात्कार और उसके बाद पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जला देने वाली हैदराबाद की घटना की निंदा और गुस्सा शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल हो रहा है। रूह कंपाने वाला यह कृत्य जो उन चार दरिंदों ने किया वह वास्तव में वर्ष 2012 की इसी दिसंबर माह के 16

कर्नल मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक बीते मंगलवार भारतीय जल सेना अध्यक्ष एडमिरल कर्मवीर सिंह ने एक प्रेस वार्ता के जरिए देश को बताया कि पिछले दिनों चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक समुद्री जहाज भारतीय समुद्री सीमा के अंदर अंडमान समुद्र में देखा गया और उसको वापस भेजा गया। उन्होंने कहा कि चाइना को

सुखदेव सिंह नूरपुर पुलिस अगर अपनी शक्तियों का सही उपयोग निष्पक्ष रूप से करे तो समाज को अपराध मुक्त बनाया जा सकता है। हैदराबाद पुलिस ने बलात्कार के चारों आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराकर सराहनीय कार्य किया है। पुलिस के ऊपर किसी भी तरह की कोई जांच अब नहीं बैठाई जानी चाहिए। हैदराबाद पुलिस

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार यह आदर्शवाद व विचारधारा के अंत का एक विचित्र प्रदर्शन है, जब इस तरह की असमान सोच वाले लोग पिछली पृष्ठभूमि को भूलकर केवल भौतिक लाभ के लिए एक साझे राजनीतिक दुश्मन को हराने के लिए इकट्ठा होते हैं। कोई भी विचारधारा केवल धन शक्ति नहीं है, जो नए

वीरेंद्र कश्यप लेखक, पूर्व सांसद हैं गत 26 नवंबर को देशभर में संविधान दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। बच्चों, कर्मचारियों व आम नागरिकों ने भारत के संविधान की शपथ ली। वैसे किसी भी देश का संविधान सर्वोपरि होता है और हम भारतवासी भी इसे देश की आत्मा मानते हैं। हमने अपना संविधान 26 जनवरी

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक मैंने कहा-‘अमां यार परेशान क्यों होते हो, हार गए तो हार गए।’ वे बोले-‘यह बात नहीं है।’ मैंने पूछा-‘तो क्या बात है ?’ बोले-‘वे जीत गए न।’ ‘तो क्या हुआ चुनाव में एक जीतता है दूसरा हारता है।’ ‘आप नहीं समझेंगे भाई जी यह रहस्य ?’ ‘इसमें रहस्य की बात क्या