वैचारिक लेख

डा. वरिंदर भाटिया पूर्व कालेज प्रिंसीपल देश के सामने व्यक्तिवाद के मुकाबले ज्वलंत आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का प्रभावशाली समाधान करने वाला लोकतंत्र 2019 में सामने आना प्राथमिकता होगी। राहुल गांधी या कोई और लोग देश को संभाल सकेंगे या नहीं, यह बहस अभी बेमानी है और एक अच्छा विचार है कि हर काबिल नेता

डा. राजेश्वर सिंह चंदेल लेखक, शिमला से हैं आज खादों एवं अन्य रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से किसानों की साख आम उपभोक्ता बाजार में घटी है। प्राकृतिक खेती से फल, फसलों को उगाने में किसी भी प्रकार के रासायनिक खादों, कीट नाशकों, फफूंद नाशकों इत्यादि के प्रयोग किए बिना सफल खेती कर किसान जहरमुक्त खाद्यान

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक हमें गेहूं और चीनी जैसे न्यून कीमत के कृषि उत्पादों के स्थान पर उच्च कीमत के कृषि उत्पादों की तरफ बढ़ना चाहिए। भारत के पास हर प्रकार की जलवायु उपलब्ध है और हम अंगूर, ट्यूलिप, जैतून, तरबूज और टमाटर सभी की खेती आसानी से कर सकते हैं। हमें अपने किसानों

कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर से हैं कुल मिलाकर छह दिनों का यह सत्र काफी सफल रहा, लेकिन विपक्ष के कड़े तेवर व तीखी नोक-झोंक ने यह संदेशा भी दे दिया कि आने वाले समय में विपक्ष और भी उग्र रूप दिखाएगा। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि यदि पक्ष और विपक्ष की सजग व ईमानदार

जीवन बिलासपुरी लेखक, बिलासपुर से हैं सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में यही सबसे बड़ी अड़चन है। अकसर देखा गया है कि जब सरकार बदलती है, तो इसके साथ-साथ उसकी प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं, जिससे कुछ योजनाओं के विस्तार पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रदेश में उपयुक्त जगहों का चयन करके  सोलर पार्क स्थापित

जयंती लाल भंडारी ख्यात अर्थशास्त्री जहां पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा देने के बाद भारत के साथ उसका आपसी कारोबार नहीं बढ़ा, वहीं भारत द्वारा जिन दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के अन्य सदस्य देशों श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव और अफगानिस्तान को एमएफएन का दर्जा दिया गया है, उनके साथ भारत का विदेश व्यापार

वसंत फुटाणे स्वतंत्र लेखक विदर्भ के वर्धा जिले का काकडदरा गांव एक समय जंगल काटकर लकड़ी बेचने वाला, महुआ से शराब बनाकर बेचने वाला, कर्ज में डूबा गांव था, जो आज पेड़ लगाकर जंगल हरा-भरा कर रहा है। अपनी पथरीली जमीन को उन्होंने कंटूर बंडिंग द्वारा उपजाऊ बनाया है। उस जमीन से वे पर्याप्त दाना-पानी

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं लिहाजा यह स्पष्ट है कि जब तक बेसहारा गोवंश से जुड़ी समस्याओं  के स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन नीति नहीं बनती, तब तक कृषि क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि नहीं होगी। इसका सीधे तौर पर नुकसान किसान तथ ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिकी के साथ राज्य व देश की

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं विचारों की एक पाठशाला मानती है कि शादी अथवा जीवन से जुड़े अन्य समारोहों पर लोग निजी रूप से जो धन खर्च करते हैं, वह जाया नहीं जाता है क्योंकि इससे एक बड़ी आबादी को काम मिलते हैं तथा आय होती है। इसके