वैचारिक लेख

जयंती लाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री निश्चित रूप से नए वर्ष 2019 से केंद्र सरकार द्वारा बैंकों में आर्थिक अनियमितता और धोखाधड़ी करके विदेश भागने की संभावनाओं पर तत्काल रोक लगाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के चेयरमैन, प्रबंध निदेशकों तथा मुख्य कार्याधिकारियों को अधिकार संपन्न बनाया गया है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि आखिर सीपीएम इस प्रश्न पर केरल के हिंदुओं से इस खुली लड़ाई में क्यों उलझ रही है? सीपीएम के लिए यह सारा खेल भारतीयों की परंपराओं को खंडित करने के साथ-साथ उनकी वोटों की राजनीति का भी हिस्सा है। केरल में उन केरलवासियों, जिनके

राम लाल राणा लेखक, सिराज से हैं मैं इस आलेख के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करना चाहूंगा कि शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में पहली से 12वीं तक की सभी कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाएं दिसंबर में ही हो जानी चाहिएं, ताकि उनको 42 दिनों की छुट्टियों में दर-दर ट्यूशन लगाने के लिए न भटकना पड़े,

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री निश्चित रूप से नए वर्ष 2019 की शुरुआत से ही देश की अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर किसानों की कर्ज मुक्ति और किसानों के लिए विभिन्न उपहारों के लिए बड़े-बड़े प्रावधान दिखाई देने की संभावनाओं से नए वर्ष में कृषि और किसानों की खुशहाली दिखाई देगी। केंद्र सरकार लघु एवं सीमांत

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार सबसे पहले कांगे्रस ने यह महसूस किया कि चूंकि उसके लोकसभा में 543 सदस्यों में से केवल 44 सदस्य हैं, अतः वह पूरी ताकत के साथ प्रभावशाली तरीके से काम नहीं कर सकती है। इसलिए उसने अन्य दलों के साथ किसी भी शर्त पर समझौता कर लेने का निर्णय

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक खेल में प्रतिभावान लाखों में एक मिलता है। खंड स्तर पर अधिक बजट का प्रावधान कर हमें हर पंचायत स्तर तक यह प्रतिभा खोज प्रक्रिया अपनानी चाहिए। हर स्कूल अपने यहां अपने विद्यार्थियों का शारीरिक क्षमता का टेस्ट ले, जिसमें स्पीड पर अधिक ध्यान केंद्रित हो, क्योंकि भारत अगर सबसे

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार प्रधानमंत्री ने दावा भी किया कि नोटबंदी एकाएक उठाया गया कदम नहीं था, क्योंकि वे काले धन वालों को चेतावनी देते रहे थे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया और उनसे यह नहीं पूछा गया, कि यदि यह योजना एक वर्ष पहले से अमल में लाई जा रही थी, तो देश को

सुखदेव सिंह लेखक, नूरपुर से हैं सरकारों ने करोड़ों रुपए खर्च करके जितने ज्यादा जल स्रोत स्थापित करके जनता को राहत पहुंचाने की पहल की, उतनी ही ज्यादा पानी की समस्याएं अब पनपती जा रही हैं। नतीजतन पानी के अभाव के चलते नलकूप, हैंडपंप, कूहलें, तालाब, वाटर सप्लाई, बावडि़यां, खड्ड और कुएं तक प्रभावित हो

अमिता भादुड़ी स्वतंत्र लेखिका वर्ष 2016 में सरकार ने ‘नमामि गंगा’ परियोजना का प्रारंभ बड़ी धूमधाम, प्रचार-प्रसार के साथ किया था। ‘नमामि गंगा’ परियोजना की प्रगति पर ‘कंट्रोलर एंड आडिटर जनरल’ (कैग) की रिपोर्ट बताती है कि इसके लिए आबंटित बजट का पूर्ण उपयोग नहीं किया गया। साथ ही  वर्ष 2014-15 और 2016-17 की परियोजना