वैचारिक लेख

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ संसदीय प्रणाली की पसंद दरअसल एक राजनीतिक पार्टी का निर्णय था। यह 1946 की गर्मियों में कांगे्रस पार्टी की एक मीटिंग के दौरान लिया गया था। उसके बाद एक पार्टी के निर्देश के रूप में इसे संविधान निर्माण प्रक्रिया से लागू किया गया। संविधान सभा के लिए कांगे्रस ने नेहरू

शरद गुप्ता लेखक, शिमला से हैं फसल उत्पादन के लागत और अनुमानित विक्रय मूल्य पर भी ध्यान देना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। आज किसान को मात्र तकनीकी प्रशिक्षण की ही आवश्यकता नहीं, अपितु उसके उत्पाद को बेहतर मूल्य कैसे मिल पाएगा, इस पर भी कार्य करने की जरूरत है… किसानो की ऋण माफी को लेकर आजकल चर्चाओं

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार कांग्रेस जमीनी स्तर पर ऐसी गतिविधियों के बिना सुषुप्त अवस्था में पड़ी रही। खंड स्तर तथा विधानसभा क्षेत्र स्तर पर लड़ाइयां उभर आईं तथा न किसी ने सामंजस्य बनाने की कोशिश की, न कोई मध्यस्थता को आगे आया। उच्च स्तर पर नेताओं ने भी इस आग को भड़काने का

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक इस बार हिमाचल को खेलो इंडिया में दो स्वर्ण, एक रजत तथा आठ कांस्य पदकों सहित कुल 11 पदक मिले हैं। पिछली बार हिमाचल को दो स्वर्ण तथा दो कांस्य पदकों सहित कुल चार ही पदक मिले थे। इस बार पदक तालिका में हिमाचल का स्थान पिछले वर्ष के 33वें

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार मैंने और मेरी टीम ने फेसबुक को खंगाला और ऐसे 250 लोगों की सूची बनाई जो इन सवालों का जवाब दे सकने के काबिल नजर आते थे। हमने उन सब को फोन किया और अपना मकसद बताया। अढ़ाई सौ लोगों में से 102 लोगों ने सर्वेक्षण में शामिल होने की सहमति

कंचन शर्मा लेखिका शिमला से हैं हिमाचल में कुल्लू की बंजार घाटी के थाटीबीड़ में एक मेले में देव कारिंदों ने लोक परंपरा के नाम पर अनुसूचित जाति के युवक के साथ मारपीट व जुर्माना लगाकर देव परंपरा को शर्मसार किया है। युवक के अनुसार उसे जातिसूचक शब्दों से भी देव कारिंदो द्वारा अपमानित किया

कुलभूषण उपमन्यु हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष इस कानून को लागू करने में नेक नीयती का परिचय नहीं दिया गया। कोई न कोई बहाना घड़ कर इसे टालने या कानून को लागू करने के लिए जरूरी प्रशिक्षण की व्यवस्था न करके कानून को लटकाया ही जा रहा है। 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी जी ने

गुरुदत्त शर्मा लेखक, शिमला से हैं आज मानव के सामाजिक मूल्यों में तेजी से बदलाव आ रहा है, जो कि हमारी भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं कहा जा सकता। हमारे सामाजिक मूल्यों में गहरे छेद हो रहे हैं, जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे बुजुर्गों पर पड़ रहा है। यह देश के लिए एक अच्छा कदम

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इन नियमों में कहा गया कि जितने भी पर्यावरणीय दुष्प्रभाव होते हैं, उनका आर्थिक मूल्य निकालकर जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इंस्टीच्यूट और फोरेस्ट मैनेजमेंट के इन सुझावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस प्रकार आज देश में स्थापित होने वाली तमाम परियोजनाओं के समग्र लाभ-हानि का