वैचारिक लेख

तिलक सिंह सूर्यवंशी लेखक, चंबा से हैं प्रकृति के बदलते मिजाज पर बड़ी-बड़ी चर्चाएं होती हैं, लेकिन इसके सही रखरखाव में मनुष्य के दायित्व को समझते हुए ठोस नीति निर्धारित करने में कोई विशेष पहल नहीं की गई है। अतः अब भी समय है कि हम इस समस्या को गंभीरता से समझें और इसके दुष्परिणामों

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक वर्तमान पालिसी में जो परिवर्तन किए गए हैं इनको लागू करने और इनके उल्लंघन के ऊपर कार्रवाई करना आगे को खिसका दिया गया है। वेंडर्स एसोसिएशन के अनुसार सरकार की पालिसी यह है कि ई-कामर्स कंपनियों द्वारा जो देश के कानून का उल्लंघन अब तक किया गया है, उसके ऊपर खामोशी बनाए रखो

नरेंद्र भारती स्वतंत्र पत्रकार आखिर मासूम कब तक मौत के मुंह में समाते रहेंगे, यह एक यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है। स्कूली बच्चों की मौत का यह कोई पहला हादसा नहीं है, इससे पहले भी हजारों बच्चे काल का ग्रास बन चुके हैं। तेज रफ्तार के कारण न जाने कितने फूल खिलने से पहले ही मुरझा गए हैं… सड़क हादसों

कुलभूषण उपमन्यु लेखक, हिमालय नीति अभियान के पहली, 84.5 प्रतिशत जोतें इतनी छोटी हैं कि उन्हें आर्थिक रूप से लाभदायक बनाने के लिए निश उत्पादों जैसे बेमौसमी सब्जियां, विशिष्ट फल, जड़ी-बूटियां आदि के उत्पादन को प्रोत्साहित करना। दूसरी, विशिष्ट उत्पादों के लिए सिंचाई व्यवस्था का होना जरूरी है। तीसरी, जहां सिंचाई संभव नहीं हो, वहां

जयंती लाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री निश्चित रूप से नए वर्ष 2019 से केंद्र सरकार द्वारा बैंकों में आर्थिक अनियमितता और धोखाधड़ी करके विदेश भागने की संभावनाओं पर तत्काल रोक लगाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के चेयरमैन, प्रबंध निदेशकों तथा मुख्य कार्याधिकारियों को अधिकार संपन्न बनाया गया है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि आखिर सीपीएम इस प्रश्न पर केरल के हिंदुओं से इस खुली लड़ाई में क्यों उलझ रही है? सीपीएम के लिए यह सारा खेल भारतीयों की परंपराओं को खंडित करने के साथ-साथ उनकी वोटों की राजनीति का भी हिस्सा है। केरल में उन केरलवासियों, जिनके

राम लाल राणा लेखक, सिराज से हैं मैं इस आलेख के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करना चाहूंगा कि शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में पहली से 12वीं तक की सभी कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाएं दिसंबर में ही हो जानी चाहिएं, ताकि उनको 42 दिनों की छुट्टियों में दर-दर ट्यूशन लगाने के लिए न भटकना पड़े,

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री निश्चित रूप से नए वर्ष 2019 की शुरुआत से ही देश की अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर किसानों की कर्ज मुक्ति और किसानों के लिए विभिन्न उपहारों के लिए बड़े-बड़े प्रावधान दिखाई देने की संभावनाओं से नए वर्ष में कृषि और किसानों की खुशहाली दिखाई देगी। केंद्र सरकार लघु एवं सीमांत

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार सबसे पहले कांगे्रस ने यह महसूस किया कि चूंकि उसके लोकसभा में 543 सदस्यों में से केवल 44 सदस्य हैं, अतः वह पूरी ताकत के साथ प्रभावशाली तरीके से काम नहीं कर सकती है। इसलिए उसने अन्य दलों के साथ किसी भी शर्त पर समझौता कर लेने का निर्णय