पीके खुराना

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार एकल परिवार में कामकाजी दंपत्ति के बच्चे अकेलापन महसूस करने पर टीवी और प्ले स्टेशन में व्यस्त होने की कोशिश करते हैं। भावनात्मक परेशानियों से जूझ रहा बच्चा एक बार इनका आदी हो जाए तो वह कई स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो जाता है। किशोर अथवा युवा होते बच्चे भी व्यायाम

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार दलबदल विरोधी कानून का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि बिल पर बहस का कोई सार्थक अवसर न होने के कारण अकसर ऐसे कानून बन जाते हैं जो व्यावहारिक नहीं होते, जनहितकारी नहीं होते और सिर्फ  शासक दल के स्वार्थों की पूर्ति करते हैं। मोदी सरकार का चुनावी बांड से संबंधित

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार कल्पनाशक्ति का प्रयोग जीवन के हर क्षेत्र में बखूबी हो सकता है। घर या दफ्तर की छोटी-छोटी समस्याओं से लेकर देश अथवा विश्व की बड़ी से बड़ी समस्या तक के हल में कल्पनाशक्ति का प्रयोग संभव है। प्रथम विश्व युद्ध के समय टॉमस एडिसन को उनके देश की सरकार ने किसानों

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार सरकारों और सामाजिक संगठनों को इसके प्रति जागरूक होकर ऐसे कार्यक्रम बनाने होंगे ताकि सफाई के अभाव के कारण असमय मृत्यु से बचा जा सके। बारह वर्ष पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 2008 को अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता वर्ष घोषित किया था। स्वच्छ रहने के लिए साफ पानी की उपलब्धता अत्यंत आवश्यक

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अडि़यलपन और कडि़यलपन तभी तक जायज है, जब तक वह कैद न बन जाए। इसी तरह छूट की भी एक सीमा होनी चाहिए। सीमा से बाहर का काम सदैव हानिकारक होता है। याद रखिए कार में रिवर्स गियर होता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर हम उसका प्रयोग कर सकें, पर रिवर्स

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हमारा मुंह सोचता नहीं है, शब्द नहीं चुनता, वाक्य नहीं घड़ता, ये सारे काम मस्तिष्क के हैं। अर्थात, हम सुनते भी दिमाग से हैं और बोलते भी दिमाग से हैं, कान सिर्फ वातावरण से आवाजें पकड़ने का यंत्र है, यह ‘रिसीवर’ मात्र है, और मुंह सिर्फ  आवाज रिलीज करने का यंत्र

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार इस समय हम लोग घर में समय बिताने के लिए विवश हैं, लेकिन इस विवशता में कुछ छिपे हुए वरदान हैं जिन्हें पहचान लें तो हमारा भावी जीवन भी सुखद हो सकता है। बहुत से लोग चूंकि घर में ही हैं, न तो उन्हें कहीं आना-जाना है, न ही उनके पास

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार परिवार से मिले संस्कारों और सीख के बाद बच्चे की औपचारिक शिक्षा की शुरुआत यहां से होती है। हमारे देश में स्कूल-कालेज की शिक्षा अधिकतर किताबी होती है और शिक्षक सिर्फ शिक्षक है। हमारे देश में ज्यादातर अध्यापकों की अपनी शिक्षा भी किताबी है, स्कूल-कालेज-यूनिवर्सिटी का पाठ्यक्रम भी किताबी है और

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हमारे देश में गरीब होना एक अभिशाप है क्योंकि गरीबों के उत्थान के लिए कोई योजनाबद्ध सामाजिक कार्यक्रम नहीं है और बेरोजगारी भत्ता भी नहीं है, लेकिन कई परिवर्तन युगांतरकारी होते हैं और वे समूचे समाज का ढांचा बदल डालते हैं। ऐसे परिवर्तन हालांकि बहुत नहीं होते, लेकिन जब-जब होते हैं,