प्रो. एनके सिंह

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं आर्थिक क्षेत्र में भी राहुल गांधी के पास फटे-पुराने समाजवादी एजेंडे के अलावा कुछ नया नहीं है। राहुल निश्चित रूप से चुनावी राजनीति के राजनीतिक चरण में दोबारा प्रविष्ट हो रहे हैं और वह कड़े प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी रणनीति चुनावी

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं पद्मिनी का चित्रांकन ध्यान से होना चाहिए था और इस चरित्र को गौरव दिया जाना चाहिए था। अगर ऐसा किया गया होता तो यह फिल्म राजपूतों के साथ-साथ सभी भारतीयों के गौरव की एक गाथा बन गई होती। शायद निर्देशक का असमंजस यह

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं दिवाली पर पटाखे चलाने अथवा न चलाने का मसला अब पृष्ठभूमि में चला गया है। कुछ दिनों पूर्व तक इस मसले पर सबसे अधिक विचार-विमर्श हो रहा था और यह विवाद का मुद्दा बना हुआ था। धार्मिक रीति-रिवाजों तथा मानव अधिकारों से जुड़ा

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं फारूक अब्दुल्ला ने दुखद बयान देते हुए भारत के पक्ष में बनी स्थिति को अस्त-व्यस्त कर दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह रुख अपना लिया कि पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान को दे देना चाहिए। यह भी कि भारत इस समस्या का समाधान पाकिस्तान

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं एक दिन मैंने तथा मेरी धर्मपत्नी ने देखा कि महिलाओं का एक समूह शादी समारोह की तरह बढि़या कपड़े पहनकर किसी गांव की ओर जा रहा था। जब उनसे पूछा गया, तो पता चला कि गांव में कोई मंत्री आने वाला था और

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं भाजपा का नेतृत्व प्रेम कुमार धूमल पहले से ही कर रहे हैं, चाहे वह पहले पार्टी के नेता घोषित नहीं हुए थे। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि भाजपा को करीब 39 सीटें मिल सकती हैं। दूसरी ओर कांगे्रस को

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा का आधार लगातार बढ़ता गया है। इसका परिणाम यह है कि भाजपा की 13 राज्यों में सत्ता कायम हो चुकी है। इसके अलावा तमिलनाडु व अन्य कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां उसका परोक्ष प्रभाव है। इसके

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं हमें शिक्षा का प्रारूप दोबारा से इस तरह बनाना चाहिए कि छात्र भविष्य की कारपोरेट जरूरतों के मुताबिक अपने कामों को अंजाम देने में सक्षम हो सकें। छात्रों तथा उनके अभिभावकों, दोनों को समझना चाहिए कि सीखने की प्रक्रिया एक ऐसी प्रक्रिया है,

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं इस बात में कोई संदेह नहीं है कि नोटबंदी तथा जीएसटी अर्थव्यवस्था में बड़े सुधार हैं, लेकिन इन पर अमल सुचारू ढंग से होना चाहिए। अव्यवस्थित तरीके से इन्हें लागू करने से जनता को असुविधा ही होगी। सबसे बड़ी कष्टप्रद समस्या यह है