आस्था

* अदरक के रस में थोड़ा सा शहद मिला लें और बच्चे को पिलाएं, इससे सर्दी, जुकाम से राहत मिलेगी और गले में खराश भी नहीं होगी । * सर्दी, जुकाम में तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर बच्चे को पिलाने से भी सर्दी से राहत मिलती है। * बादाम को भिगोकर इसका पेस्ट

सर्दियों में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ सकता है।  दुनियाभर के वैज्ञानिकों और कई हैल्थ एक्सपर्ट्स ने भी ये बात कही है कि आने वाली सर्दियों के लिए हमें पहले से तैयार रहना चाहिए क्योंकि संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। ऐसी बातें क्यों कही जा रही हैं? ठंडे मौसम में कोरोना संक्रमण फैलने का

गतांक से आगे… सारशांतः मन एकाग्र होता है अर्थात मन की अन्यान्य वृत्तियां शांत हो जाती हैं और एक विषय में चित्त रम जाता है। बहुतेरे ऊपरी आचार करने और विधि निषेध करने के जाल मानने में ही समय निकल जाता है। आत्मचिंतन की फुर्सत नहीं मिलती। दिन-रात विधि निषेध के चक्कर में पड़ने से

21 मार्च 2020 के अंक में आपने पढ़ा कि राजेश बहुत कमजोर हो गया है। वह घबराया हुआ था। अब इससे आगे पढ़ें ः पहले राजेश कुछ न बोला। मैंने दोबारा अपना प्रश्न किया- ‘राजेश क्या देख रहे हो? जाओ वहां कौन है? देखो?’ राजेश का चेहरा धीरे-धीरे रंग बदलने लगा और धीरे-से फुसफुसाकर बोलने

प्रोक्तान्येतानि भवता सप्तमन्वंतराणि वै। भविष्याण्यपि विप्रर्षे ममाख्यातु त्वामर्हसि।। सूर्यस्य पन्नीसंज्ञाभूतत्तया विश्वकर्मणः। मनुर्यमो यवी चैव तदपत्यानि वै मुने।। असहंति नु सा भर्तु र्स्तजश्छायां युयोज वै। भतृंशुश्रूषणेऽरय स्वयं च तपसे ययो।। संज्ञयमित्यथार्कश्च छायवः मात्मजत्रम। शनैश्चरं मनुं चांती चाप्यजीजनतत।। छाय संज्ञा ददौ शाप यमाय कुपिता यदा। तदान्ये यमसौ बुद्धिरित्यासीद्यमसूर्ययोः।। ततो विवस्वानाख्याते तपैवास्ण्संस्थिताम। समाधिदृष्टया ददृशे तामश्वां तपसि स्थिताम।। वाजिरूपधर

* उस व्यक्ति ने अमरत्व को प्राप्त कर लिया, जो कभी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता * व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं * जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन है * विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं और कुछ रिकॉर्ड तोड़ते हैं * यदि

अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह राजा गोपीचंद के मंत्रियों ने जालंधरनाथ को जब वे समाधि लगाए उपासना कर रहे थे, उसी अवस्था से उठाकर गड्ढे में रखवा दिया और गड्ढे को भर दिया। अब पढ़ें इससे आगे…. योगी को अपने सिर अधर वाले गट्ठर होने के कारण कुछ भी पता नहीं चला। कूड़े-कचरे

अकेले होकर स्वयं का सामना करना भयावह और दुखदाई है और प्रत्येक को इसका कष्ट भोगना पड़ता है। इससे बचने के लिए कुछ भी नहीं करना चाहिए। मन को वहां से हटाने के लिए कुछ भी नहीं करना चाहिए। हर एक को इस पीड़ा को भोगना होगा और इससे गुजरना होगा। यह कष्ट और यह

स्वामी रामस्वरूप भाव यह है कि यज्ञ, नाम, सिमरन एवं योगाभ्यास इसका वर्णन पहले के श्लोकों में कर दिया गया है। यह ईश्वर की उपासना/पूजा है।जीव नम्रता धारण करते हुए नित्य यह उपासना करें। केवल हाथ जोड़कर सिर झुका करके कोई कहे कि मैंने ईश्वर को नमस्कार कर लिया है, यह केवल पढ़ा, सुना, रटा