प्रताप सिंह पटियाल

1971 में पाकिस्तान को तकसीम करने वाली भारतीय सैन्यशक्ति देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सरहदों की बंदिशों को तोड़कर चीन का भूगोल बदली करके उसका जंगी फितूर उतारने में गुरेज नहीं करेगी। सरहदों पर डै्रगन को भारत से उलझने की हरकत व हिमाकत महंगी साबित होगी। मौजूदा भारत ऑफैंसिव रुख अख्तियार कर चुका

यदि मुल्क का मुस्तकबिल युवावर्ग किशोरावस्था से ही नशेमन का दामन थामकर इसकी दलदल में फंसकर जीवन के लक्ष्य से भटक जाए तो नए भारत के भविष्य की तस्वीर कितनी भयावह होगी, इस विषय पर मंथन होना चाहिए। अत: व्यक्तिगत विकास व देश के भावी कर्णधारों के बेहतर भविष्य के लिए अपराध मुक्त व नशामुक्त

देश में गौवंश का तिरस्कार दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि सरकारें गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें तो गौधन की सुरक्षा के मौलिक अधिकार अवश्य सुनिश्चित होंगे। देश की संपन्नता के लिए गौधन को घर-आंगन की शोभा बनाकर गौवंश के अतीत का गौरवशाली सम्मान लौटाना होगा… भारतीय संस्कृति में गौधन अनादिकाल से आस्था व कृषि अर्थशास्त्र की

अतः भारतीय सुरक्षा बलों के साए में महफूज रहकर भारत विरोधी बयानों की जद में सियासी जमीन तराश रहे कश्मीर के हुक्मरानों को हिंद की सेना के उन शूरवीरों का शुक्रगुजार रहना चाहिए जिन्होंने चार बडे़ युद्धों में पाकिस्तान को धूल चटाकर कश्मीर को हथियाने के उसके अरमानों पर पानी फेर कर जीवन न्योछावर कर

लाजिमी है देश की स्वतत्रंता की 75वीं वर्षगांठ को ‘आजादी अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाए जाने तथा आज़ाद हिंद सरकार के स्थापना दिवस के अवसर पर इतिहास के पन्नों में गुमनाम आज़ाद हिंद फौज के उन रणबांकुरों को याद किया जाए जिनके शिद्दत भरे संघर्ष के बल पर ही मुल्क में आज़ादी के इंकलाब

श्रीराम ने अपने पूर्वजों का आदेश मानकर संपूर्ण वैभव व राजपाट त्याग कर आदर्श चरित्र स्थापित किया था। विजयदशमी के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के उच्च चरित्र तथा समर्पण, सत्य व त्याग जैसे गुणों को अपनाने की जरूरत है। मगर ब्रह्म के वंशज प्रकांड पंडित रावण का पुतला दहन कितना जायज है, इस

शिष्यों के जीवन में अपने उच्च आदर्शों व अपने ज्ञान की अमिट छाप छोड़ने वाले हमारे महान आचार्यों के ज्ञान की प्रमाणिकता आज भी हमारे ग्रंथों में कायम है। उन शिक्षकों के प्रसंगों से शिक्षक व शिक्षार्थी बहुत कुछ सीख सकते हैं। अपनी संस्कृति के अनुकूल शिक्षा पद्धति के अनुसरण की जरूरत है… ‘जब तक

बहरहाल युद्ध नीति के अनुसार जब जंग लाजिमी हो तो लाव-लश्कर नहीं देखे जाते। रणक्षेत्र में कामयाबी कुशल सैन्य रणनीति, अदम्य साहस तथा तकनीकी सैन्य नेतृत्व पर निर्भर करती है। पुरुष वर्चस्व माने जाने वाले सैन्य मोर्चों पर महिला सैनिक ड्यूटी निभाने की पूरी सलाहियत रखती हैं। सैनिक स्कूलों में बालिका कैडेट्स का कोटा बढ़ाना

बहरहाल आतंक का मरकज बनकर दहशतगर्दी की रहनुमाई करने वाले मुल्कों पर विश्व समुदाय में खामोशी की रजामंदी चिंता का सबब है। अफगानिस्तान के हालात से सीख मिलती है कि जम्हूरियत की बुलंदी पर बैठे हुक्मरानों के जहन में राष्ट्रहित में सख्त फैसले लेने की पूरी ताकत होनी चाहिए… वर्तमान समय में अफगानिस्तान में तालिबान

विश्व के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाडिय़ों में शुमार करने वाले मेजर ध्यान चंद के हॉकी में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस सम्मान की मांग दशकों से उठ रही है। इस विषय पर हमारे हुक्मरानों को अपनी खामोशी पर रुख स्पष्ट करना होगा… भारत के लिए