डा. वरिंदर भाटिया

कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीडऩ के संरक्षण अधिनियम 2013 का ज्ञान बालिकाओं को यौन शिक्षा द्वारा प्राप्त होगा तो वे छेड़छाड़, दुष्कर्म, शरीर स्पर्श, अश्लील इशारों का प्रतिरोध कर सकेंगी। कुल मिला कर सही तरीके से यौन शिक्षा के मुद्दे पर गहन विचार की जरूरत है। चाहे हमारे सांस्कृतिक मूल्य इसके साथ तालमेल नहीं बिठाते,

उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल कक्षाओं के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं… देश में अब डिजिटल शिक्षा का जमाना है। इसमें डिजिटल लाइब्रेरी कल्चर में बदलाव महत्वपूर्ण रोल निभा सकता है। खासतौर से छात्रों और उनकी डिजिटल शिक्षा पर फोकस करते हुए कई अहम कदम उठाए जा

कॉलेज छात्रों को पढ़ाई-लिखाई के बाद भी काम न मिलने के कारण, बढ़ती बेरोजगारी के चलते या फिर कुछ लोगों की असंतुष्ट यौन इच्छाएं इत्यादि कारणों से, चाहे कोई भी हो, जब तक इस विकृति की डिमांड बनी रहेगी, पुरुष वेश्याओं का वजूद भी शायद बना रहेगा…. उच्च शिक्षा से जुड़े लोगों के लिए हतप्रभ

मेडिकल प्रोफेशन के एक अच्छी फील्ड होने के साथ-साथ इसमें सेवा भाव भी होता है। इसमें काम करके डॉक्टर बेहद खुश होते हैं। हर डॉक्टर अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता है। पर अब डॉक्टर और मरीज के बीच बदलाव देखने को मिल रहा है। मरीजों में डाक्टरों के प्रति विश्वास कम हो

स्कूली शिक्षा देश के सभी बच्चों को आसानी से मिले, यह हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। पैसे की कमी के कारण गरीब के बेटे और बेटी के लिए गुणात्मक स्कूली शिक्षा प्राप्त करने में रुकावट नहीं बननी चाहिए। माननीय हाई कोर्ट का फैसला प्रशंसनीय है क्योंकि इसमें फीस न दे पाने पर छात्र की

उच्च शिक्षा ऐसी हो कि छात्र भविष्य के जीवन के लिए तैयार हो सकें। इसलिए अध्यापन का कार्य भविष्य को ध्यान में रखकर हो। बेहतर हो कि उच्च शिक्षा को किसी नौकरी के लिए डिग्री हासिल करने का माध्यम मात्र न माना जाए, बल्कि इसे व्यक्ति की पूर्ण क्षमता विकसित करने का जरिया समझा जाना

क्या विदेशी विश्वविद्यालयों का मकसद शिक्षा को एक व्यापारिक उत्पाद के रूप में पेश करना होगा या फिर शिक्षा उनके लिए सामाजिक और कल्याणकारी उत्पाद होगा जो कि देसी शिक्षा संस्थानों में भी कम हो रहा है। इन बिंदुओं का जवाब तो सब जानते हैं, फिर भी देश में उच्च शिक्षा की हालत और चुनौतियों

आर्य समाज का देश की आज़ादी में बहुमूल्य योगदान है। इसका पाखंडवाद और अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष अपने आप में एक अविचलित वैचारिक क्रांति है। आर्य समाज का खास तौर पर डीएवी संस्थाओं के जरिए देश में शिक्षा के फैलाव में अति महत्त्वपूर्ण योगदान है। समाज की कुरीतियों से लडऩे की जरूरत आज भी कम

छात्राओं का यौन उत्पीडऩ शिक्षा समाज में एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है। इसे राज्य सरकारें कभी भी हल्के से न लें। क्यों न हमारे पत्रकार दोस्तों और सरकारों द्वारा यह पड़ताल की जाए कि राज्यों के स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी व कोचिंग सेंटर्स में छात्राओं की अस्मत की सुरक्षा के क्या उपाय किए गए हैं।

प्रोन्नति सीधी भर्ती से हो या फिर अन्य विधियों से, यह सहज-सामान्य, सतत एवं वैज्ञानिक होनी चाहिए। इसका तात्पर्य यह भी है कि शोषण का शिकार हमारे सीनियर प्राध्यापक भी होते हैं। भारत अपनी युवा जनसंख्या के बूते पर विश्व पटल पर प्रखरता से उभरना चाहता है तो उसे सबसे पहले उच्च शिक्षा के उत्थान