ब्लॉग

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं यह बात सही है कि भारत और चीन के निर्यात प्रभावित होंगे, लेकिन भारत के निर्यात कम और आयात ज्यादा हैं। अतः निर्यातों में जो गिरावट होगी, उससे ज्यादा आयातों में गिरावट आएगी। जैसे अमरीका ने भारत से निर्यातित स्टील पर आयात कर बढ़ा दिए, उससे

कुलभूषण उपमन्यु लेखक, हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष हैं नदी और उस पर आश्रित जीव जगत की अपरिहार्य पर्यावरणीय जरूरतों का तो ध्यान रखना ही पड़ेगा। यही तो करने के लिए प्रो. जीडी अग्रवाल कह रहे थे। गंगा तो भारतीय समाज की संस्कृति का अभिन्न अंग है, प्राण त्यागने के समय भी गंगाजल की दो

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं उम्मीद है सरकार इन युवाओं को खेलों में अधिकाधिक भाग लेने के लिए उचित खेल वातावरण तैयार करेगी व स्कूली खेलों के बजट बढ़ाएगी, क्योंकि स्कूली खिलाडि़यों को सुरक्षा, उचित मात्रा में शौचालय, बिस्तर व गुणवत्तायुक्त भोजन मिलना समय की मांग  है… हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में पिछले

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं यह इलाका मायावती का था, इस इलाके में सोनिया गांधी को मायावती अपनी शर्तों पर चलाना चाहती है, लेकिन सोनिया गांधी यदि इन शर्तों को मानती है तो उसके लिए यह निहायत घाटे का सौदा होगा। इतिहास को जानने वाले यह भी जानते हैं कि इटली वाले

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं क्या पूरे देश के लिए यह जरूरी था कि सर्जिकल स्ट्राइक का ढोल पीटा जाता। यह अच्छा होता कि सेना दिवस पर भारतीय सेना के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती तथा इसका उल्लेख किया जाता, बजाय इसके कि इसे एक बड़ा समारोह बनाया

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं हमें अपने भविष्य के स्टार धावकों के लिए बिना भेदभाव के मंच उपलब्ध करवाना होगा। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय खेल परिषद को भविष्य में ध्यान देना होगा कि उसकी खेल प्रतिभाओं को इस तरह का खेल कैलेंडर मिले, जिसमें वह हर जगह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन बिना किसी भेदभाव

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं सवाल यह है कि इस अवस्था में हमें क्या करना चाहिए? हमारे समाज की सोच क्या होनी चाहिए? क्या हम अपनी बेटियों को असुरक्षित छोड़ देना चाहते हैं? हम एक धार्मिक समाज हैं, नैतिकता की दुहाई देते हैं, लेकिन घरों में भी महिलाओं को उनके अपने

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणी यहां यह भी बताना जरूरी है कि सरकार द्वारा पूर्व में हर तीसरे महीने रोजगार संबंधी एक रपट सार्वजनिक की जाती थी। पिछली दो तिमाहियों से इस रपट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। प्रश्न है कि यदि रोजगार वास्तव में बढ़ ही रहे हैं, तो सरकार

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों दल पंचायतों के चुनावों से उभरे नेतृत्व को कोई अधिकार देने को तैयार नहीं हैं। इसलिए वे भारतीय संविधान में पंचायत प्रतिनिधियों को दिए गए अधिकारों के प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन कश्मीर