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देश में सुगठित खिलौना डिजाइन संस्थान की स्थापना को मूर्तरूप देना होगा… यकीनन इस समय देश और दुनिया में भारतीय खिलौना उद्योग की बहुत कम समय में हासिल ऐसी सफलता रेखांकित हो रही है जिसकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। इस समय चारों ओर भारत के सस्ते और गुणवत्तापूर्ण खिलौना उद्योग का

बैटरियां और इलेक्ट्रॉनिक कचरा अलग से बेचने की व्यवस्था की जाए। जो प्लास्टिक कबाड़ी उठा ले वह बेच दिया जाए। अन्य गत्ता आदि भी बिक जाता है। इसके बाद जो कचरा बच जाए उसके निपटान की व्यवस्था सरकार को करनी होगी। इसके लिए सीमेंट प्लांट और अन्य ईंधन की मांग रखने वाले उद्योगों से बात

इसके अध्ययन के बाद आधुनिक काल में इस भेदभाव को खत्म करने के लिए सामाजिक चेतना की जरूरत है… पिछले दिनों मुम्बई में संत शिरोमणि रविदास जी की जयन्ती पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत जी ने कहा कि रविदास जी जिस मार्ग पर चल रहे थे, उसका अपने वक्त

खेल शारीरिक व मानसिक दोनों तरह की फिटनेस देते हैं जो किसी भी राज्य व देश की तरक्की के लिए बहुत जरूरी हैं। नई खेल नीति में किए गए सुधार व सुविधाएं हिमाचल प्रदेश में खेल संस्कृति के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। देखते हैं हिमाचल प्रदेश की वर्तमान सरकार के खेल मंत्री विक्रमादित्य

परिणाम यह है कि चुनाव जीतना ही सबसे ज्य़ादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है, इसलिए उम्मीदवार जीत सुनिश्चित करने के लिए हर तरह के जायज़ और नाजायज़ तरीके अपनाते हैं। स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए शुरुआत हमें जड़ से करनी होगी, यानी चुनाव प्रणाली ऐसी बनानी होगी कि भ्रष्ट तरीकों से चुनाव जीतना

कॉलेज छात्रों को पढ़ाई-लिखाई के बाद भी काम न मिलने के कारण, बढ़ती बेरोजगारी के चलते या फिर कुछ लोगों की असंतुष्ट यौन इच्छाएं इत्यादि कारणों से, चाहे कोई भी हो, जब तक इस विकृति की डिमांड बनी रहेगी, पुरुष वेश्याओं का वजूद भी शायद बना रहेगा…. उच्च शिक्षा से जुड़े लोगों के लिए हतप्रभ

कई मामलों में पुराने कर्ज चुका कर नए ऋण कम ब्याज पर लिए जा सके थे। ऐसे में सरकार पर ऋण का बोझ कम हो गया था। कहा जा सकता है कि सरकारी कर्ज के बोझ को कम करने हेतु ब्याज दरों में कमी जरूरी है… पिछले कुछ दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया में

देश को बर्तानियां हुकूमत की दास्तां से मुक्त कराने के लिए सरफरोशी की तमन्ना के साथ तख्ता-ए-दार पर झूलने वाले भारत के इंकलाबी चेहरों का मकसद हिंदोस्तान की सरजमीं से केवल अंग्रेजी निजाम को रुखसत करना ही नहीं था बल्कि आज़ादी के परवाने उन तमाम व्यवस्थाओं को हटाना चाहते थे जो मुगल आक्रांताओं व अंग्रेजो

हम उम्मीद करें कि प्रवासी भारतीय वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे… यकीनन पिछले माह जनवरी में संपन्न हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद प्रवासी भारतीय दुनियाभर में भारत को अगुआ बनाए जाने के अभियान में जुट गए हैं। ज्ञातव्य है कि 8 से 10 जनवरी तक इंदौर में